किसी भी बात को समझने से पहले बच्चों को अनुभव की जरूरत होती है। अनुभव में चीजों को देखना, छूना, सुनना, चखना, सूंघना, चुनना क्रमबद्ध रखना शामिल है। बच्चों के लिए ठोस चीजों से खेलना और प्रयोग करना अनिवार्य है।
पुराने जमाने की पढ़ाई में केवल शब्दों का इस्तेमाल होता था। पुराने शिक्षक बच्चों के किसी चीज को रटकर दोहरा पाने की क्षमता को ही समझदारी मानते थे। लेकिन अब इस बारे में हमारी मान्यता बदली है। हमें बच्चों के मुंह से केवल शब्द भर नहीं, बल्कि उनसे कुछ उपलब्धियों की भी अपेक्षा है। इसका कारण है कि हम चाहते हैं कि बच्चे बड़े होने पर कुछ हासिल करें, महज भाषण न दें। पढ़ाते समय स्वयं लंबे भाषण न देकर हमें बच्चों के सामने एक अच्छा उदाहरण रखना चाहिए।
छोटे बच्चों को व्यावहारिक समझ सिखाने के लिए हमें अधिक शब्द इस्तेमाल करने की जरूरत ही नहीं है। इस चरण की पढ़ाई को ठोस चीजों के शब्दहीन संवाद से ही होने दीजिए। अनुभव प्राप्त करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित कीजिए। मदद कीजिए-लेकिन बहुत अधिक नहीं। प्रयोग के लिए सामान जुटाने में बच्चों की सहायता कीजिए और उनका मार्गदर्शन करिए। मगर बच्चों को बहुत अधिक बताइये, समझाइये नहीं। जहां तक सिद्धांत और व्याख्या की बात है, वह तो बच्चे बाद में स्कूल में सीख जाएंगे।
बच्चों को कभी कभी नाकामयाबी भी महसूस करने दीजिए। इसके बाद उनको तसल्ली से काम करने के लिए प्रोत्साहित कीजिए, जिससे कि बच्चे अपने काम को किसी ढंग की कामयाबी में बदल सकें।
जब बच्चे कोई सफलता हासिल करते हैं, तब वे बेहद खुश होते हैं। इससे आगे के कामों का उनका हौसला बुलंद होता है। आत्मविश्वास ही आगे सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है।
बच्चे होशियार होते हैं। छुटपन में वे बहुत कुछ अपने आप ही सीख जाते हैं। किसी नी चीज को समझने में उन्हें समय लगता है। इसलिए अगर किसी काम को करते वक्त बच्चों को कौतूहल जागृत हो तो समय की परवाह करे बगैर उन्हें उस समस्या के बारे में सोचने दीजिए। उत्तर खोजने के लिए उन्हें नए नए प्रयोग सुझाइए। तुरंत शब्दों में जवाब देकर बच्चों की बढ़ रही असली समझ को न कुचलिए।
इस किताब की क्रियाओं को इस ढंग से लिखा गया है कि उनमें अधिक शब्द इस्तेमाल ही न हों। क्रिया का परिचय संक्षिप्त है, और सीधे बच्चों को संबोधित किया गया है। शिक्षक अगर चाहे तो निर्देशों को सीधे पढ़ सकता है या फिर, इन निर्देशों को स्थानीय परिस्थिति, उपलब्ध सामान, और बच्चों के अनुरूप ढाल सकता है।
छोटे बच्चे सरल चीजों के जरिए ही सबसे अच्छी तरह सीखते हैं। विशेष कर रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली और आसपास पाई जाने वाली वस्तुओं के बारे में पहले पहले समझना बच्चों के लिए सबसे अधिक सहायक होगा।
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