प्राक्कथन
प्रिया नीलकण्ठी
ललित निबन्ध हिन्दी में कम ही लोगों ने लिखे हैं और ऐसे लेखक तो और भी कम हैं जिन्होंने सारी युगीन चेतना को आत्मसात् करके अभिव्यक्ति की इस एक ही विधा को समृद्ध किया है। कुबेरनाथ राय ऐसे ही विरल रचनाकार हैं, जिनका नाम ललित निबन्धों के साथ अब कुछ ऐसा जुड़ गया है कि दोनों संज्ञाएँ एक-दूसरे की पूरक-सी लगने लगी हैं। और, यही कारण है कि प्रस्तुत निबन्ध संग्रह विशिष्ट हो गया है। भारतीय जनजीवन के परम्परागत पैटर्न में जो रूपान्तरण आज हो रहा है उसकी 'समग्र अनुभूति' प्राप्त करने की चेष्टा ही प्रिया नीलकण्ठी के निबन्धों की सृजन-प्रेरणा है। इस रूपान्तरण में ग्राम-संस्कृति के सूखते रस-बोध का स्थान यन्त्र-युग की बौद्धिकता लेती जा रही है, जिसने आज के व्यक्ति को अभिशप्त और निर्वासित जीवन जीने के लिए विवश किया है। यह सत्य है कि औद्योगिक संस्कृति के विकास के साथ-साथ बौद्धिकता का दायरा बढ़ता जायेगा, किन्तु ग्रामीण जीवन की उल्लास-साधना इतनी हेय और उपेक्षणीय नहीं कि इसे सूखने दिया जाये। अतः आधुनिक यन्त्रबोध से उत्पन्न 'निर्वासन' के भाव को जीवन की स्वीकारात्मक स्थितियों तक ले जाने के लिए एक नया 'सम्पाती' चाहिए, जो अपने पंख जल जाने पर भी निराश न हो और सत्य को स्वर्ण-मंजूषा में बन्द कर लाने के लिए प्रतिबद्ध रहे। अवश्य ही सहज-विदग्ध शैली में लिखे गये इन निबन्धों को पढ़कर आपको परितोष मिलेगा।
लेखक परिचय
कुबेरनाथ राय
जन्म: 1955 मत्सा, (गाजीपुर) उत्तर प्रदेश । शिक्षा : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में । प्रकाशित रचनाएँ: मराल, प्रिया नीलकण्ठी, रस-आखेटक, गन्धमादन, निषाद बाँसुरी, विषाद योग (आधुनिक चिन्तन), पर्णमुकुट, महाकवि की तर्जनी (रामकथा और वाल्मीकि समस्या के सन्दर्भमें), मणिपुतुल के नाम (गाँधीवादी रस-दृष्टि और शिल्प-दृष्टि पर), किरात नदी में चन्द्रमधु, मनपवन की नौका (बृहत्तर भारत के सांस्कृतिक सन्दर्भ), दृष्टि अभिसार, रामायण महातीर्थम्, त्रेता का बृहत्साम और कामधेनु । उपलब्धियाँ : भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदवी पुरस्कार से सम्मानित । प्रिया नीलकण्ठी पर उत्तर प्रदेश शासन की हिन्दी समिति का आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार एवं गन्धमादन और विषाद योग पर विशेष पुरस्कार, पर्णमुकुट पर उत्तर प्रदेश शासन के हिन्दी संस्थान द्वारा 'स्तरित पुरस्कार', महाकवि की तर्जनी पर 'मानस संगम' कानपुर द्वारा प्रदत्त ताम्रपत्र-प्रशस्ति एवं साहित्य पुरस्कार, इसी कृति पर साहित्य अनुसन्धान परिषद् (हनुमान टेम्पल ट्रस्ट) कलकत्ता द्वारा राम-साहित्य पुरस्कार, पुनः इसी कृति पर उत्तर प्रदेश शासन के 'हिन्दी संस्थान' द्वारा प्रदत्त ताम्रपत्र-प्रशस्ति एवं आचार्य शुक्ल पुरस्कार और त्रेता का बृहत्साम भारतीय भाषा परिषद्, कलकत्ता से सम्मानित ।
निधन : 05 जून, 1996 (गाजीपुर, उत्तर प्रदेश)।
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