लेखक परिचय
प्रताप सहगल (जन्म: 1945, झंग 'अविभाजित भारत') हिंदी के प्रतिष्ठित नाटककार, कवि, कथाकार, आलोचक एवं बाल साहित्यकार। छोटे-बड़े 65 नाटकों का सृजन । आपके चर्चित नाटक हैं अन्वेषक, रंग बसंती, रामानुजन एवं बुल्लेशाह आदि। नाटकों का टीवी, रेडियो और स्टेज पर निरंतर प्रसारण और मंचन। सात कविता-संग्रह, दो उपन्यास, दो कहानी-संग्रह के अतिरिक्त आलोचना की पाँच पुस्तकें एवं दो यात्रा-वृत्तांत भी प्रकाशित। बच्चों के लिए भी दर्जनों नाटकों का लेखन। आपने संपादन एवं अनुवाद कार्य भी विपुल मात्रा में किया है। आपकी रचनाओं का भी कई देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। आपको 2022 में संगीत नाटक अकादेमी सम्मान के साथ ही अनेक पुरस्कारों-सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं- सौहार्द सम्मान-उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, राजभाषा सम्मान, भारत सरकार, साहित्यकार सम्मान, हिंदी अकादमी, दिल्ली आदि। संप्रति ज़ाकिर हुसैन स्नातकोत्तर सांध्य महाविद्यालय से एसोसिएट प्रोफेसर के
पुस्तक परिचय
रामानुजन (1887-1920): भारत के दो जीनियस गणितज्ञ हैं आर्यभट और रामानुजन। रामानुजन का समय उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी है। कुंभकोणम से लंदन तक की यात्रा इस गणित-जीनियस के कई वातायन खोलती है। रामानुजन नाटक रामानुजन के अवदान को रेखांकित करता हुआ प्रथम विश्व युद्ध के संदर्भ में शांतिवादी सोच राष्ट्रवाद पर विमर्श प्रस्तुत करता है। पारिवारिक ईधास, धार्मिक समझ, पति-पत्नी के संबंध तथा गणित के कई प्रश्नों को नाटक एक नई तरह की रंग-भाषा रचता हुजा रंग-कर्मियों को चुनौती देता लगता है। इसके कामयाब मंचन ने यह प्रमाणित किया है कि गंभीर रंग-कर्म का दर्शक हिंदी में तैयार हो चुका है।
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