श्री द्विजेन्द्रनाथ मिश्र 'निर्गुण' हिन्दी कथा साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। गत चार दशकों से भी अधिक समय से वे अपनी लेखनी से हिंदी के कथा साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। निर्गुण जी प्रेमचंद की भांति सहज संवेदना के रचनाकार हैं। उनकी कहानियों में न जटिलता है, न किसी कहानी आंदोलन की छाया, पर उनकी कहानियां मानवीय जीवन को मार्मिकता के साथ प्रस्तुत करती हैं। परिवार हो या समाज, निर्गुण जी उसका यथार्थ चित्र उपस्थित कर देते हैं, जिसमें मानवीय मूल्य ध्वनित होते रहते हैं। मानव-चरित्र की गहराई में उतरकर वे आदर्शों के मोती खोज लाते हैं। वे चरित्रों की दुर्बलता को सबलता में परिर्वार्तत कर देते हैं। यहीं पर जीवन के प्रति लेखक स्वस्थ आशावादी दृष्टिकोण उपस्थित करने लगता है। निर्गुण जी का कथा साहित्य जीवन की सहज स्वाभाविक अभिव्यक्ति का पर्याय है। उनके चरित्र जमीन पर खड़े हैं अपने गुण-दोषों के साथ। जब कथाकार दोष को गुण में परि-वर्तित करता है तो कहानी को एक नई चमक प्राप्त होती है। लेखक के शिल्प की यह विशेषता है। इससे जीवन को गति प्राप्त होती है।
"रस बंद” में लेखक की प्रतिनिधि मार्मिक कहानियां संकलित की गई हैं। हमें विश्वास है कि इस संग्रह की कहानियां पाठक का मनोरंजन करने के साथ ही व्यापक संवेदनात्मक स्तर पर भी उसके मन में अपना प्रभाव छोड़ेंगी ।
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