गुजराती के श्रेष्ठ रचनाकार स्व. झवेरचंद मेघाणी के उपन्यास 'वेविशाल' का हिन्दी अनुवाद 'सगाई' नाम से प्रकाशित करते हुए हम हार्दिक आनन्द का अनुभव कर रहे हैं। यह पुस्तक मेघाणी जन्मशताब्दी वर्ष में प्रकाशित हो रही है. यह हमारे लिए और भी प्रसन्नता की बात है ।
मेघाणी ने अपने १४ उपन्यासों एवं ८ कहानी-संग्रहों में गुजरात के लोक-जीवन, आचार विचार और सांस्कृतिक वैशिष्टय को सजीव रूप से चित्रित किया है। आंचलिक परिवेश 'लोकल-कलर' को चित्रित करने के लिए आंचलिक शब्दावली का प्रयोग, मेघाणी की खास विशेषता है। इस विशेषता को ध्यान में रखकर ही अकादमी ने मेघाणी के 'वेविशाल' उपन्यास के हिन्दी अनुवाद का उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य हिन्दी के जानेमाने कवि लेखक श्री अविनाश श्रीवास्तव को सौंपा। श्रीवास्तवजी लखनऊ के रहनेवाले हैं, हिन्दी भाषा पर उन्हें पूरा काबू है। चार दशक से गुजरात में रहने और सरकारी अधिकारी के रूप में सौराष्ट्र और गुजरात के विभिन्न भागों में जनसाधारण के निकट संपर्क में आने के कारण गुजराती की भी उन्हें अच्छी समझ है । सर्जक होने के नाते वे मेघाणी की भाषाभंगिमाओं को आसानी से समझ सके हैं और मूल कृति की मौलिकता को अक्षुण्ण रखते हुए उन्होंने 'वेविशाल' का हिन्दी भाषांतर किया है। उन्होंने देशज शब्दों, मुहावरों. कहावतों को भी हिन्दी की प्रकृति के अनुसार सफलतापूर्वक रूपांतरित किया है। इस सुन्दर अनुवाद के लिए मैं श्री अविनाश श्रीवास्तव को धन्यवाद देता हूँ।
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