यह पुस्तक आयुर्वेद विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें परम संतोष हो रहा है। विगत अध्यापन वर्षों में ऐसी पुस्तक की कमी हमें कई बार महसूस हुई। अतः हम ईश्वर की कृपा से इस कमी को पूरा करने हेतु इस पुस्तक को प्रस्तुत करने को चेष्टा कर रहे हैं।
इसके लेखन में प्रधानतया प्रथम उद्देश्य था कि बी.ए.एम.एस. छात्रों को चरक संहिता एवं अष्टांग हृदय के सूत्रस्थान के निर्धारित अध्यायों का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो, जो कि एन.सी.आई.एस.एम. के नवीन पाठ्यक्रम में निर्दिष्ट है। दूसरा उद्देश्य यह है कि इस विषय के शिक्षकों को अध्यापन हेतु पाठ्यक्रम के आधार पर समुचित ज्ञान प्राप्त हो।
इस पुस्तक के लेखन में एक और ध्यान रखा गया है कि इस पुस्तक के होने पर पुर्नभ्यास हेतु अन्य पुस्तक की आवश्यकता न पड़े।
अंत में हम यह कहेंगे कि विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए, हमने सरल शब्दों का प्रयोग किया है। अतः आशा करता हूँ कि यह पुस्तक विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी बेहद उपयोगी सिद्ध होगी।
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