महर्षि व्यास लिखित महाभारत कथा मात्र व्यथाओं की ही कथा नहीं है अपितु भारतीय वाङ्मय में इसे पञ्चम वेद भी माना गया है। कुरुवंशीय दो भाई कुरू और पाण्डु के वंशजों के मध्य घटित वैमनस्य, कटुवचन, महासंग्राम आदि विविध घटनाओं के विस्तृत विवरण के साथ-साथ इस महा आकार ग्रन्थ में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूप पुरुषार्थ चतुष्ट्य की विशिष्ट चर्चा भी विस्तार से उपलब्ध होती है। स्वयं व्यास का कथन है-
महाभारत महाकाव्य को अनेक दृष्टिकोणों से देखा गया है। इस विशाल ग्रन्थ की उपजीव्यता में अनेक काव्य एवं इतर ग्रन्थों की रचना का विशाल भण्डार पुस्तकालयों में देखने को मिलता है। इस महाकाव्य को आधार बनाकर अनेक विद्वानों ने विविध पुस्तकों का लेखन किया है। क्योंकि इसमें समस्त ज्ञान वेदों के समान संनिहित है। अतः यह परम पावन व अनुपम ऐतिहासिक ग्रन्थ है।
इस तथ्य एवं सत्य को दृष्टि में रख कर डॉ० मीरा मोदी ने भी अपनी लेखनी उठाई और एक नवीन विषय को देखने व ढूढ़ने का सुन्दर व सराहनीय प्रयास किया। उन्होंने षड्दर्शनान्तर्गत सांख्य सिद्धान्तों के प्रत्येक तत्त्व का अन्वेषण महाभारतीय श्लोकों से किया और उसका अन्य सम्बन्धित दर्शनशास्त्रों की छाया में सम्यक् विवेचन भी प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
यह विश्लेषण "महाभारत में सांख्य दर्शन" के रूप में प्रकाशित होकर पाठकों के सम्मुख है। इसे पढ़कर पाठक जानेगें कि किस प्रकार सांख्य के समस्त सिद्धान्त व्यथा कथा से परिपूर्ण इस इतिहास ग्रन्थ में विस्तृत रूप से विद्यमान है। आशा है पाठक इस ग्रन्थ के अध्ययन से महाभारत के अन्तर्गत सांख्य सिद्धान्तों से सम्यक्तया सुपरिचित हो सकेंगे।
डॉ० मीरा मोदी अनागत में भी इसी प्रकार अन्य सिद्धान्त विषयक ग्रन्थों की रचना करके संस्कृत साहित्य को समृद्ध करेंगी तो सुधी पाठक यथासमय लाभान्वित होते रहेगें। वह जीवन में सर्वागींण उन्नति के सोपान पर आरुढ़ रहे, ऐसी मनोकामना है।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist