| Specifications |
| Publisher: Gita Press, Gorakhpur | |
| Author Goswami Tulsidas | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 383 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch X 5.5 inch | |
| Weight 310 gm | |
| Edition: 2013 | |
| GPA314 |
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प्रथम संस्करणका निवेदन
इधर कई जगह खास करके कलकत्तेके विद्यालयोंके शिक्षाक्रममें विभिन्न श्रेणियोंके लिये श्रीरामचरितमानसके पृथक्-पृथक् काण्ड रखे गये हैं। विद्यार्थियोंकी बड़ी माँग है, परन्तु बाजारमें अलगअलग काण्ड प्राय: नहीं मिलते। जो मिलते हैं, वे प्राय: अशुद्ध छपे हुए और बहुत ही महँगे। इस कठिनाईको दूर करनेके लिये गीताप्रेसने पृथक्-पृथक् काण्डोंमें पूरा रामचरितमानस प्रकाशित करनेकी व्यवस्था की है। यह बालकाण्ड है। इसमें मूलके साथ हिंदी-अनुवाद भी है। आशा है, इससे विद्यार्थियोंको सुविधा होगी और मानसका शुभ प्रसार तो बढ़ेगा ही, जो मानवजातिके कल्याणके लिये अत्युत्तम साधन है।
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विषय-सूची बालकाण्ड |
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1 |
मङ्गलाचरण |
7 |
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2 |
गुरुवन्दना |
9 |
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3 |
ब्राह्मणसंत-वन्दना |
10 |
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4 |
खल -वन्दना |
14 |
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5 |
संत- असंत-वन्दना |
15 |
|
6 |
रामरूपसे जीवमात्रकी वन्दना |
17 |
|
7 |
तुलसीदासजीकी दीनता और रामभक्तिमयी कविताकी महिमा |
20 |
|
8 |
कवि वन्दना वाल्मीकि, वेद, ब्रह्मा, देवता, शिव, पार्वती आदिकी वन्दना |
29 |
|
9 |
श्रीसीताराम-धाम-परिकर |
30 |
|
10 |
वन्दना |
32 |
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11 |
श्रीनामवन्दना और नाम महिमा |
35 |
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12 |
श्रीरामगुण और श्रीरामचरितकी महिमा |
44 |
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13 |
मानसनिर्माणकी तिथि |
53 |
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14 |
मानसका रूपक और माहात्म्य |
55 |
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15 |
याज्ञवल्क- भरद्वाज- संवाद तथा प्रयाग-माहात्म्य |
66 |
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16 |
सतीका भ्रम, श्रीरामजीका ऐश्वर्य और सतीका खेद |
69 |
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17 |
शिवजीद्वारा सतीका त्याग, शिवजीकी समाधि |
77 |
|
18 |
सतीका दक्ष-यज्ञमें जाना |
82 |
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19 |
पतिके अपमानसे दुःखी होकर सतीका योगाग्रिसे जल जाना, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस |
84 |
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20 |
पार्वतीका जन्म और तपस्या |
85 |
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21 |
श्रीरामजीका शिवजीसे विवाहके लिये अनुरोध |
95 |
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22 |
सप्तर्षियोंकी परीक्षामें पार्वतीजीका महत्त्व |
97 |
|
23 |
कामदेवका देवकार्यके लिये जाना और भस्म होना |
103 |
|
24 |
रतिको वरदान |
107 |
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25 |
देवताओंका शिवजीसे ब्याहके लिये प्रार्थना करना, सप्तर्षियोंका पार्वतीके पास जाना |
108 |
|
26 |
शिवजीकी विचित्र बारात और विवाहकी तैयारी |
111 |
|
27 |
शिवजीका विवाह शिव-पार्वती-संवाद |
120 |
|
28 |
अवतारके हेतु |
128 |
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29 |
नारदका अभिमान और मायाका प्रभाव |
143 |
|
30 |
विश्वमोहिनीका स्वयंवर, |
149 |
|
31 |
शिवगणोंको तथा भगवान्को शाप और नारदका मोह-भंग |
152 |
|
32 |
मनुशतरूपा-तप एवं वरदान |
161 |
|
33 |
प्रतापभानुकी कथा |
172 |
|
34 |
सवणादिका जन्म, तपस्या और उनका ऐश्वर्य तथा अत्याचार |
194 |
|
35 |
पृथ्वी और देवतादिकी करुण पुकार |
201 |
|
36 |
भगवान्का वरदान |
205 |
|
37 |
राजा दशरथका पुत्रेष्टि यज्ञ, रानियोंका गर्भवती होना |
207 |
|
38 |
श्रीभगवान्का प्राकट्य और बाललीलाका आनन्द |
209 |
|
39 |
विश्वामित्रका राजा दशरथसे राम- लक्ष्मणको माँगना |
225 |
|
40 |
विश्वामित्र-यज्ञकी रक्षा |
228 |
|
41 |
अहल्या-उद्धार |
229 |
|
42 |
श्रीराम -लक्ष्मणसहित विश्वामित्रका जनकपुरमें प्रवेश |
233 |
|
43 |
श्रीरामलक्ष्मणको देखकर जनकजीकी प्रेममुग्धता |
234 |
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44 |
श्रीराम-लक्ष्मणका जनकपुर-निरीक्षण |
237 |
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45 |
पुष्पवाटिका-निरीक्षण,प्रथम दर्शन, श्रीसीतारामजीका परस्पर दर्शन |
246 |
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46 |
श्रीसीताजीका पार्वती - पूजन एवं वरदानप्राप्ति तथा राम-लक्ष्मण-संवाद |
253 |
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47 |
श्रीराम-लक्ष्मणसहित विश्वामित्रका यज्ञशालामें प्रवेश |
259 |
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48 |
श्रीसीताजीका यज्ञशालामें प्रवेश |
267 |
|
49 |
बन्दीजनोंद्वारा जनकप्रतिज्ञाकी घोषणा |
269 |
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50 |
राजाओंसे धनुष न उठना, जनककी निराशाजनक वाणी |
271 |
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51 |
श्रीलक्ष्मणजीका क्रोध |
273 |
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52 |
धनुषभंग |
280 |
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53 |
जयमाल पहनाना |
283 |
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54 |
श्रीराम लक्ष्मण और परशुराम-संवाद |
289 |
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55 |
दशरथजीके पास जनकजीका दूत भेजना, अयोध्यासे बारातका प्रस्थान |
304 |
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56 |
बारातका जनकपुरमें आना और स्वागतादि |
320 |
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57 |
श्रीसीता-राम-विवाह |
337 |
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58 |
बारातका अयोध्या लौटना और अयोध्यामें आनन्द |
366 |
|
59 |
श्रीरामचरित सुनने-गानेकी महिमा |
382 |


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