जहाँ तक ऊर्जा अथवा शक्ति का सम्बन्ध है, इस क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है और तेजी के साथ हो रही है। प्रारम्भ में शक्ति के रूप में वाष्य का प्रयोग किया गया और इसी क्रम में वाध्यचालित इंजनों का निर्माण हुआ। इस प्रकार के इंजनों ने मानव-जीवन और उसकी गतिविधि को नयी दिशा दी और इनसे परिवहन और औद्योगिक क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित हुए। यांत्रिक और अभियांनिकी का विकास और संवर्धन हुआ।
किसी भी यांत्रिक अभियन्ता के लिए वाष्पचालित इंजनों के सम्यक् ज्ञान से सम्पन्न * होना आवश्यक और अनिवार्य हो गया है। आज इस क्षेत्र में होने वाली प्रगति के परिणामस्वरूप डीजल इंजनों और बिजली के इंजनों की गति और प्रगति से भी अद्यतन परमाणु-चालित संयन्त्रों का आविष्कार हो चुका है। यद्यपि इस युग में वाष्पचालित इंजनों का महत्व घटता जा रहा है तथापि इनका ऐतिहासिक महत्त्व तो है ही और इसी कारण अब भी इनके सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी अपेक्षित है और इस जानकारी के अभाव में यांत्रिकी-विषयक ज्ञान अधूरा ही माना जायगा।
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