आनंद का एक पल सैकड़ों दुखों को तहस-नहस करता है।
- चीनी कहावत
आज से अनेक वर्ष पूर्व एक ज्ञानी व्यक्ति ने मुझे प्रसन्नता का रहस्य बताया था, जो वैसे तो अत्यंत साधारण था मगर उस में निहित अर्थ काफी गूढ़ था। उसने कहा था, "यदि आप खुश रहना चाहते हों तो, खुश रहो।"
इस उत्तम सलाह का में आज तक पालन करता आ रहा हूं लेकिन जब परिस्थितियां विपरीत हो तब खुश रहना उतना आसान नहीं होता। मेरे कुछ मित्र एक बहुत बड़े हवाई अड्डे के पास विगत तीन वर्षों से रह रहे थे। उनका घर सुंदर तथा उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप था। मगर वायुयानों के उतरने-चढ़ने के तीव्र शोर-शराबे ने उन्हें यह स्थान छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।
इसी प्रकार एक राजमार्ग के चौराहे के समीप रहने वाले कुछ व्यक्ति रात भर वाहनों के प्रकाश की चकाचींध से परेशान थे। वे रात भर शांत नींद सो नहीं पाते थे। अंत में उन लोगों ने वाहनों के प्रकाश से बचाव के लिए एक बहुत बड़ी दीवार खड़ी करवा दी। ऐसा कर के उन्होंने अनजाने में ही फेंग-शूई के साधारण से उपाय से अपनी समस्या हल कर ली थी।
इस प्रकार कुछ मित्रों ने नए मकान में जा कर अपनी समस्या से छुटकारा पाया तो कुछ दंपत्तियों ने अन्य प्रकार से। लेकिन अगर वे परिवार अपने पहले वाले स्थान पर रहते तो कभी भी सुखी नहीं रहते, चाहे ऊपर से सुखी होने का दिखावा करते।
सौभाग्यवश अपने आसपास के वातावरण के प्रति सामंजस्य स्थापित करने का रास्ता है तथा चीन की प्राचीन कला फेंग-शूई हमें ऐसा ही रास्ता दिखलाती है, जिसे अपनाने से जीवन में प्रसन्नता, संतोष तथा समृद्धि मिलती है। फेंग-शूई का मतलब है-"वायु एवं जल।"
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