मधुर चीजें: Sweet Things

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Item Code: HAA220
Author: जी. एस. पाटणकर: (G. S. Patanakar)
Publisher: Sangeet Karyalaya Hathras
Language: Hindi
Edition: 2006
Pages: 128
Cover: Paperback
Other Details 7.0 inch X 5.0 inch
Weight 100 gm
Fully insured
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Book Description


भूमिका

संगीत कला पर अपनी यह चौथी पुस्तक प्रकाशित करते हुए अतीव हर्ष होता है। अपनी पुस्तक के प्रति रसिकजनों की दिलचस्पी अधिक पुस्तकें प्रकाशित करने के लिए उत्साहवर्धक माँग होना लेखक के सम्मानसूचक तो है ही, परन्तु रसिकों की नवीनता की अपेक्षा पूर्ति की जो जिम्मेदारी बढ़ती है, उसका भी मुझे पूर्ण भान है। इसी कारण से यह पुस्तक प्रकाशित करते समय गायन प्रेमी रसिकों की अपनी पसन्द के अनुसार चयन करने में आसानी हो, ऐसी भावना मैंने सदैव सम्मुख रखी है ।

मेरी पुस्तकें (1) आधुनिक संगीत प्रकाश ( भाग 1 ला), (2) आधुनिक संगीत प्रकाश (भाग 2 रा) हिन्दी मराठी, (3) शालेय संगीत प्रकाश और अब यह मधुर चीजें हैं इनका अवलोकन करने पर रसिकों की बढ़ती हुई माँग की किस विविध प्रकार से पूर्ति मैं कर रहा हूँ, इसकी कल्पना सहज ही में की जा सकेगी ।

इस पुस्तक के प्रकाशन का कारण यह है कि हिन्दी भाषा में यद्यपि संगीत शिक्षण की काफी हैं, तथापि उनमें के अधिकांश पदों की चाल एक ही धरती की है। कुछ खास पद, खास नोटेशन से गाते गाते लोगों की अभिरुचि अब मन्द पड़ गई है । कुछ लोकप्रिय रागों के लोकप्रिय गाने बहुत ही पुराने लगने लगे हैं। किन्तु नवीन पदों के अभाव में गायकों को वे पुराने गाने ही गाने पड़ते हैं। उदाहरणार्थ

राग बागेश्री बिनति सुनो मोरी ।

राग दुर्गा सीख मोरी ।

राग तिलककामोद तीरथ को ।

राग मालकंस सखि शाम । इत्यादि

अत गायकों की इस अड़चन को दृष्टि में रखते हुए श्रोताओं की बदलती हुई अभिरुचि के अनुसार उन्हें अधिक पसन्द आए, ऐसे नवीन पद मैंने नए आकर्षक ढंग से इसमें सजाए हैं। पुराने गानों की अपेक्षा यह लोगों को अधिक रुचिकर प्रतीत होंगे, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है । इस पुस्तक में 38 मधुर व लोकप्रिय रागों की जानकारी के साथ प्रत्येक राग के 3, 3 गाने झपताल, एकताल तथा त्रिताल में दिए गए हैं।

ये गाने किसी भी कलाकार द्वारा किसी भी रेडियो स्टेशन पर कवि डॉ० पुरवार जी एवं कवि पं० लक्ष्मणराव ओघले का नामोल्लेख करते हुए गाए जा सक्ते हैं।

मेरे मित्र कविवर्य डॉ० पुरवार एवं कवि पं० लक्ष्मणराव ओघले का मैं अत्यन्त आभारी हूँ। कारण, वे अपना अमूल्य समय खर्च कर अगर इतने मधुर व रसीले गाने न बना देते, तो इस पुस्तक का स्वरूप इतना सुन्दर होने की सम्भावना नहीं थी । आप दोनों मराठी के श्रेष्ठ और पुरोगामी कवि हैं। डॉ० पुरवार जी का विराट मानव नामक खण्डकाव्य मराठी संसार में ऊँचा स्थान रखते हुए कवि की प्रबल कल्पनाशक्ति और नवीनता का भी परिचय देता है। उनकी इस प्रतिभा और सुरम्य क्ल्पनाओं का दर्शन उनके गीतों में यथेष्ट प्रमाण में मिलेगा ।

इसी प्रकार नोटेशन देखने में मेरे मित्र श्रीमान् रामराव परसतवार, प्रो० कृष्णराव लोमटे और श्रीमान् प्रो० डी० एस० भगत (सांगवी) ने जो सहायता दी है, उसके लिए मैं उनका भी आभारी हूँ ।

संगीत कार्यालय, हाथरस का भी मैं आभारी हूँ, जिसने इस पुस्तक को प्रकाशित करके मेरा उत्साह बढ़ाया है। पहले यह पुस्तक दो भागों में थी, किन्तु इस संस्करण में दोनों भाग सम्मिलित रूप से एक ही पुस्तक के रूप में प्रकाशित किए जा रहे हैं।

 

अनुक्रमण़िका (प्रथम खंड)

राग यमनकन्याण

 

आया रे मधुमास

9

नंदगांव जाना

10

प्यारी प्यारी रे श्याम

11

राग बागेश्री

 

जा जा रे घर श्याम

12

हँसत डुलत सृष्टि प्यारी

12

सखि चांद गगन में हाँस रहा

13

राग दुर्गा

 

जाऊं कैसे जल भरन

15

बोल बोल री मैना

15

आया है सुकुमार कन्हैया

16

राग देस

 

गाता है गुनगान

17

आज गान गा कोकिला

18

आवो सखि कान्हा आया

19

राग बहार

 

मानो मानो विनीत मोरी

21

रंगभरी मूव रची होरी

21

आज मूली मैं श्याम डगरिया

22

राग आसावरी

 

आ सजनी सुन बात

23

मधु मुकुरित ये बसंत

24

पतंग क्यों जलता जाता

25

राग शंकरा

 

आवो जावो घर श्याम

26

आवो खेलो होरी आज

27

प्रिय आ रहा

28

राग भीमपलासी

 

प्राण प्रिय चांदनी

29

सुनकर मधु कली गीत

30

आई आई उमड़ी आई

31

राग सोहनी

 

रूठ गए सखि साजन

32

तुम सो जावो नंदलाला

33

हिलमिल सखियो आवो गावो

34

राग तिलंग

 

जाग रही दिन रात

35

चल सजनी चल चलना

36

आवो आवो ना मनमोहना

37

राग रागेश्री

 

ना गावो अब गान

38

करत,करत कृष्ण गान

39

राधारानी ने मुसकाया

40

राग पटदीप

 

हारी हारी मैं तो हारी

42

बालकृष्ण नाच मधुर नाच रे

43

मधु हाँसरी बजो बाँसुरी

44

राग सारंग

 

माता है सुखधाम

45

बाजे री हृदय बीन

46

तेरी याद आज आई

47

राग अड़ाना

 

मधुमास सखी आया

48

बांसुरी बजाई श्याम

49

मैंने राग कैसा गाया

50

राग तिलककामोद

 

गा गा रे कविराज

51

बालम कटत न रतिया

52

प्यारी तोरी बोली मतवारी

53

राग मालकंस

 

जागी रे दिन रात

54

जावो जावो जावो आज

55

प्रिय मधुमास

56

राग मालगुंजी

 

आज तू कोयल

58

बाजे छुम छनन् छनन्

59

आवो आवो ना श्याम कन्हैया

60

राग बसंत

 

आया आज बसंत

61

सुनकर मधु वेणुनाद

62

न्यारी न्यारी ले आई गगरिया

63

राग भैरव

 

गा गा रे मन राम

64

गावो गावो राधे श्याम

65

छोड़ो छोड़ो रे श्याम गगरिया

65

राग भैरवी

 

बात सुन बावरी

66

भोली भोली राधिका

67

(द्वितीय खण्ड)

 

राग जयजयवंती

 

बाजे मोरे पायल

71

आवो आवो मन रमणा

72

बिनती सुनो मुरारी

73

राग बिहाग

 

आई राधा मोहन

77

खेलत है श्याम होरी

78

वाला चाले चपला क्या है

79

राग हमीर

 

आए मोरे मोहन

81

बाट सखी देख देख

82

चल हाँसरी उठ बाबरी

83

राग गौड़सारंग

 

आए कारे बादल

84

पावस यह बरसत

85

कारी कोयल गाई

86

राग भूप

 

राम नाम सुखदाई

87

प्रभुवर सुन बिनति मोरी

88

गावो श्याम मुरारी

89

राग देशकार

 

जागो है सब गाम

90

आए मेरे प्यारे नाथ

91

सखी सखी हाँसरी

92

राग बिलावल

 

मोरी नाव नाथ सँभालो

94

खेल खेल नंदलाल

95

मुरली तिहारी कान्हा

96

राग गौड़सारंग

 

आए घर नाथ अब

74

मधु धुन सुन आई

75

सखी हाँसत बसंत

76

राग मियाँ मन्हार

 

आज पावस रंग

97

चमकत नहिं घर में चाँद

98

आवत घोर बदरिया

99

राग काफी

 

राधिका भोली भाली

100

बोल बोल बोल पिया

101

अब खोजू कहाँ ब्रजवाला

102

राग केदार

103

चंद्रमा आवत

103

आई तव चरनन में

104

बालम बात न मानत

105

राग दरबारी कानड़ा

 

चांद सखी आया है

106

लाई मृदु माला नव

107

साथी अब ना तुम गाना

108

राग खमाज

110

आज मैं आ गई

110

आवत हैं साजनवा

110

रंग मत डारो मुरारी

111

राग तोरी

 

गावो रे प्रभू नाम

113

जाग जाग क्या भरोसा

114

यह किसने गाया

115

राग मुलतानी

 

श्याम मानस हंस

116

आज योग आया

117

राधा बाला प्यारी

118

Sample Pages








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