'क्लिनिकल डायग्नोसिस एण्ड ट्रीटमेंट' (Clinical Diagnosis and Treat-ment) अत्याधुनिक चिकित्सा एवं शोध की इस पुस्तक को प्रस्तुत करते हुए मुझे आत्मसंतोष की अनुभूति हो रही है क्योंकि मैं चिकित्सा क्षेत्र के दीर्घकालीन अनुभव और चिकित्सा विषय / रोग विशेषज्ञों (Disease specialist) के सुझावों को चिकित्सा जगत के व्यापक हित में प्रस्तुत करने का अपना ध्येय साकार कर रहा हूँ। भारत की राष्ट्र भाषा हिन्दी में आधुनिक चिकित्सा शास्त्र पर इस प्रकार की एक भी पुस्तक उपलब्ध नही है। हमारे मेडिकल कालेजों में यद्यपि शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी ही है, हम इस तथ्य का आभास कर रहे हैं कि हमारे छात्र हिन्दी माध्यम से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् अंग्रेजी की पाठ्यपुस्तकों (Text books) को समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं, स्नातक छात्रों के पास हिन्दी में मेडिसिन की पुस्तक होने से उन्हें इस विषय को समझने में सहायता मिलेगी। यह निर्विवाद है कि इस देश में बीमारियों पाश्चात्य देशों से भिन्न प्रकार की हैं तथा उनके लक्षण एवं चिन्ह (Clinical symptoms & signs) भिन्न हैं। अतः हमारे छात्रों के लिये इस दृष्टिकोण से लिखी हुई पुस्तक अधिक लाभदायक होगी।
तथ्य यह है कि जहाँ एक ओर बढ़ती जनसंख्या के कारण आवासीय समस्या को पूरा करने के लिये हरे भरे खेतों एवं जंगलों का नाश होने से पर्यावरण सन्तुलन बिगड़ गया है, वहीं दूसरी और भौतिकतावादी संस्कृति के कारण मानसिक तनाव में अत्यधिक वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर बीमारी बढ़ी है। न केवल नये-नये रोग सामने आ रहे हैं बल्कि अत्यधिक चिंतनीय विषय यह है कि जिन रोगों के लिये दावा किया जा रहा था कि उनका समूल नाश किया जा चुका है। वह पुनः सामने आ रहे हैं। प्लेग व मलेरिया ही इसका एक उदाहरण है। निःसन्देह यदि रोग को शुरूआती दौर में ही पहिचान लिया जाय तो उसका इलाज संभव है। कैंसर इस बात का ज्वलन्त उदाहरण है कि यदि इनका पता प्राथमिक अवस्था में ही लग जाये तो इसका पूर्ण उपचार हो सकता है। वर्तमान समय में इलाज अत्यधिक मंहगा हो गया है अतः रोगों को प्राथमिक अवस्था (Primary stage) में ही पहचान लेना आवश्यक है ताकि उसके इलाज में खर्च कम आये।
मेडिसिन (Medicine) का ज्ञान विभिन्न विधियों से प्राप्त किया जा सकता है। जब इसे पुस्तक के रूप में संकलित किया जाये तब इसे दो प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है-
एक वह जिसमें रोगों का विवेचन क्रमबद्ध प्रणाली के क्रमानुसार संदर्भ में किया जाय। अधिकांशतः पाठ्यपुस्तकों के लिखने की यह साधारण तथा सर्वमान्य विधि है। दूसरी प्रणाली वह है जिसमें रोगों का वर्णन तथा चिकित्सा, लक्षण पर आधारित हो क्योंकि रोगी चिकित्सक के पास किसी व्यवस्थित विधि से प्रस्तुत नहीं होता ॥ अपितु वह किसी लक्षण विशेष के साथ उपस्थित होता है, जिसके लिये वह उपचार चाहता है। ऐसे अवसर पर चिकित्सक को उन विभिन्न विकृत अवस्थाओं को ध्यान में रखना पड़ता है, जो इस प्रकार प्रस्तुत हों। इस प्रकार रोग लक्षणों पर आधारित चिकित्सा की पुस्तक विशिष्ट महत्व रखती है और चिकित्सक तथा विद्यार्थियों के लिये अत्यन्त उपयोगी है। इस पुस्तक की सहायता से चिकित्सक तत्काल निदान का निर्णय लेकर बाद में विस्तृत अध्ययन कर रोगी की चिकित्सा सफलता पूर्वक कर सकता है। अतः यह पुस्तक उनके लिये उपयोगी सिद्ध होगी एवं इससे चिकित्सक वर्ग की एक बड़ी आवश्यकता की पूर्ति होगी। यह पुस्तक न केवल चिकित्सकों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के अभिप्राय से लिखी गई है, वरन उन विद्यार्थियों के लिये भी है जो अपने पाठ्यक्रम में रोग लक्षण तथा रोग निदान एवं चिकित्सा का अध्ययन करने जा रहे है। इनके अतिरिक्त इस देश में असंख्य चिकित्सक जो ग्रामीण अंचलो में बिना किसी चिकित्साशास्त्र का अध्ययन किये ग्रामीणों की सेवा कर रहे हैं। उन्हें भी इस पुस्तक से सर्वाधिक लाभहोगा। इस देश में शिक्षित समुदाय का ऐसा वर्ग भी है जो चिकित्साशास्त्र में रुचि रखता है तथा शरीर और उसकी बीमारियों के विषय में कुछ ज्ञान प्राप्त करना चाहता है, मैं आशा करता हूँ कि इस वर्ग के लिये भी यह पुस्तक रुचिकर होगी क्योंकि इसे सरल भाषा में लिखा गया है।
इस पुस्तक में कुछ नये रोगों को और सम्मिलित किया गया है जिनका अध्ययन अन्य पुस्तकों में कहीं भी उपलब्ध नहीं है, जो इसकी एक अपनी विशेषता है। साथ ही सर्पदश जैसी घातक स्थितियों की शर्तिया चिकित्सा बताई गई है।
विषय-वस्तु एवं साज-सज्जा की दृष्टि से यह ग्रन्थ कितना शुरुचिपूर्ण, ज्ञानवर्धक बन सका है, पाठकों, चिकित्सकों तथा विद्यार्थियों एवं चिकित्सकीय क्षेत्र में दिन-रात कार्यरत कर्मचारियों के लिये किस हद तक उपयोगी एवं लाभदायक है। इसका निर्णय आपके हाथों में है। इस विषय में अपनी अमूल्य राय हमेशा की भांति अवश्य लिखें। मैं आशा करता हूँ कि पुस्तक विद्यार्थी तथा चिकित्सक दोनों के लिये उपयोगी सिद्ध होगी तथा जिस उद्देश्य को लेकर लिखी गई है। उसे कार्यान्वित करने में सफल होगी।
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