प्रस्तुत उपन्यास सामाजिक यथार्थ की घटनाओं पर आधारित है। इस उपन्यास में परतन्त्र भारत के उतरते समय में एक उच्च वर्गीय परिवार की समाज में आदर्श स्वरूप विकसित करने की चेष्टा को मूर्त रूप दिया गया है। अक्सर ऐसा प्रकट किया गया कि उच्च कुल द्वारा दलित बिरादरियों का शोषण किया गया परन्तु इसमें एक ऐसे कथानक का अन्वेषण किया गया है जहाँ उच्च कुल में उत्पन्न एक पात्र दलित अथवा कमजोर आर्थिक स्थिति से जूझते लोगों को अपना पूर्ण समर्थन करता है। उसके इस प्रकार के कृत्यों का विरोध उसके अपने नजदीकी करते हैं।
हिन्दी उपन्यासों में यथार्थवादी दृष्टि, प्रतीकात्मक दृष्टि, छायावाद, भौतिकवाद, व्यक्तिवादी दृष्टि, प्रगतिवादी दृष्टियों पर आधारित उपन्यास लिखे गए। सामाजिक यथार्थ के चिन्तन आधार गान्धीवादी चिन्तन, संस्कृतिवादी चिन्तन, मार्क्सवादी चिन्तन, पाश्चात्य सभ्यता एवं समन्वयवादी दृष्टियों का विशेष उल्लेख मिलता है। इस उपन्यास में उच्च वर्ग द्वारा विलासिता पर अंकुश लगाने का प्रयास हुआ है। ग्रामीण समाज में विकृत यौन प्रवृत्तियों को धराशाही करने में उपन्यास का एक पात्र धोखे का शिकार हो जाता है। उसको विश्वास में लेकर विष प्रदान कर दिया जाता है एवं उसकी पत्नी भी अपने नजदीकियों भ्रमवश अनेक यातनाओं को सहकर दम तोड़ देती है।
जिन्दगी के दौर में भ्रम का एक ऐसा आवरण उत्पन्न होता जाता है कि जिन सात शक्तिशाली लठैतों ने एक सत्यवादी आदर्श युग पुरुष का परिवार मिट्टी में मिला दिया। वे अपने दुष्कृत्यों के परिणाम का अक्स भ्रम में देखते हैं। उनके जीवन में कदम-कदम पर उस मृतक महिला के ललकार का भ्रम स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। प्रकृति स्वयं बहुत न्यायप्रिय है। वह राजा अथवा रंक को उसके कृत्यों का परिणाम पुरूस्कार अथवा दण्ड के रूप में अवश्य प्रदान करती है। अपराधियों को दण्डित करने हेतु शस्त्र भ्रम उसका ऐसा अचूक बाण है जो अपराधी को तिल-तिल मरने को विवश कर देता है।
प्रस्तुत उपन्यास में अनायास ऐसी घटनाओं का यथार्थ विवरण है जहाँ कुण्ठित वासनाओं का प्रतिफल मौत है। दूसरों पर अनायास कीचड़ उछालना, दुर्बल का शोषण, असत्य एवं हिंसा का प्रतिकार प्रकृति अवश्य लेती है। यदि कोई कितना भी आदर्श छवि का अधिष्ठाता हो परन्तु अन्याय, अत्याचार, हिंसा, बेईमानी, धोखा देने वाले व्यक्तियों के साथ मित्रता रखता है तो आदर्शवादी होते हुए भी उसको उनके कर्मों का फल आटे में नमक अवश्य मिलता है। जिन्दगी में भ्रम की स्थिति एक शक्ति सम्पन्न व्यक्ति को भी खोखला कर देती है।
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