मेरा मानना है कि हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक हमारे हाथ में होता है। आपकी सेहत पुस्तक लिखने का मुख्य कारण यह था कि मैं एक आम आदमी को स्वास्थ्य के उन तमाम पहलुओं से अवगत कराना चाहता था जिसके फलस्वरूप न केवल वह स्वस्थ रह सके बल्कि किसी रोग से पीड़ित होने पर या किसी प्राकृतिक विपदा या आपातकालीन स्थिति में अपने व अपने परिवार के स्तर पर क्या बचाव अथवा घरेलू उपचार कर सके और किन लक्षणों के होने पर चिकित्सक की सलाह ले या अस्पताल जाए। पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह जानकर दुखद आश्चर्य हुआ कि न केवल एक आम आदमी बल्कि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों में भी सेहत को लेकर कितनी, अज्ञानता है, अंधविश्वास है। बीमारी का न होना ही अच्छे स्वास्थ्य का लक्षण मान लिया जाता है और स्वास्थ्य के प्रति जानकारी के अभाव में, जाँच और उपचार में, काम-काज न कर पाने की स्थिति में कितना ही आर्थिक नुकसान होता है।
इस पुस्तक को लिखने का उतना ही महत्वपूर्ण कारण यह भी था कि एक डॉक्टर होने के नाते मैं एक आम आदमी को, उस भाषा में जिसे वह पढ़ और समझ सके, व समाज को, अपनी ओर से आभार व्यक्त करने का जरिया मानते हुए, वह सब जानकारी दूँ जो उसका अधिकार है क्योंकि मेरा मानना है कि किसी व्यक्ति के डॉक्टर बनने में परिवार व समाज के अनगिनत लोगों का योगदान होता है। एमबीबीएस के दौरान शरीर की संरचना समझने के लिए एक मृत देह का डाइसेक्शन किया जाता है। उसके बाद अस्पताल में ट्रेनिंग के लिए रोगी की जरूरत होती है जिसका चेकअप, जाँच व उपचार किया जाता है। शल्य चिकित्सा की जाती है। परिवार के सदस्य, माता-पिता सहयोग देते हैं कि पढ़ाई-लिखाई बिना किसी बाधा के पूरी हो सके। कभी-कभी सही समय पर दी गई राय मील का पत्थर साबित होती है। उदाहरण के तौर पर जब मैने दिल्ली में एमबीबीएस कोर्स में दाखिले के लिए परीक्षा देनी थी उससे एक दिन पहले मुझे 105 डिग्री बुखार था और मैंने मन बना लिया था कि परीक्षा में नहीं बैठूंगा। उस दिन शाम को घर पर एक महिला का, जो रिश्ते में भाभी लगती थी, आना हुआ और बातों-बातों में यह पता लगने पर कि मैं परीक्षा नहीं दे रहा हूँ, मुझसे कहा, विजय परीक्षा देने में क्या हर्ज है, ज्यादा-से-ज्यादा फेल हो जाओगे। तुम हमेशा मेधावी छात्र रहे हो, परीक्षा में जरूर बैठो। उनके कहने पर मैंने परीक्षा दी और मुझे दिल्ली में दाखिला मिल गया।
यह पुस्तक मैंने जानबूझ कर हिंदी, बल्कि हिंदुस्तानी भाषा में लिखी, हालाँकि इसके लिए मुझे अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ा। मैं चाहता था कि ज्यादा-से-ज्यादा हिंदी भाषी भारतीय लोग यह जानकारी प्राप्त कर सकें क्योंकि भारत में केवल 2 प्रतिशत व्यक्ति ही अँग्रेजी पढ़ व समझ सकते हैं।
इस पुस्तक में मैने स्वास्थ्य संबंधी संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है जैसे हमारे शरीर की संरचना, कार्यप्रणाली, शिशु का विकास व अन्य शारीरिक व मानसिक मापदंड आयु अनुसार, दाँतों का निकलना, रोगों से बचाव के टीके, किशोर किशोरियों में आयु अनुसार बदलाव, प्रजनन ज्ञान, सेक्स ज्ञान जिसके प्रति हम भारतीयों में बहुत अज्ञानता व भ्रांतियाँ हैं। इसके अतिरिक्त हमारी दिनचर्या, नियमित व्यायाम, व्यक्तिगत साफ-सफाई, नियमित मेडिकल जाँच का महत्व, शरीर के विभिन्न अंगों की देखभाल आदि शामिल हैं। आम रोगों से पीड़ित होने की स्थिति में प्रमुख जाँच का महत्व, विभिन्न रोगों के कारण, लक्षण, बचाव व उपचार भी बताये गए हैं। उपचार शैली में एलोपैथी के अलावा अन्य चिकित्सा प्रणालियों जैसे आयुर्वेद, घरेलू नुस्खों आदि का भी जिक्र किया गया है। भारतीयों में कद के अनुसार वजन, खानपान को लेकर खाद्य पदार्थों में तत्व व उनके गुण, कैलोरी वैल्यू आदि की जानकारी दी गई है। साथ में पर्याप्त चित्रों के माध्यम से समुचित जानकारी देने का प्रयास किया गया है। विभिन्न आपातकालीन स्थितियों जैसे दिल, दिमाग का दौरा, हड्डी टूटना, सिर में चोट, बिजली का झटका, जलना, डूबना, जहर, तेज बुखार आदि में अपने स्तर पर एक आम आदमी क्या कर सकता है, जानकारी दी गई है। स्वास्थ्य संबंधी तकनीकी शब्दावली भी पुस्तक में दी गई है। मुझे आशा है की यह पुस्तक हर वर्ग व आयु के व्यक्ति के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है।
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