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ASTROLOGY BOOKS IN HINDI

कल्पवृक्ष: Kalpavriksha
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संतति संहिता: Santati Samhita (Santan Samhita)
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सामुद्रिक दीपिका: Samudrik Dipika
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त्रिक भवनों की गाथा: Trika Bhavano ki Gatha
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लग्न दर्शन: Lagan Darshan (Set of 4 Volumes)
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फलित ज्योतिष दर्शन: Phalit Jyotish Darshan
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जैमिनी ज्योतिष का अध्ययन: Study of Jaimini Astrology
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वास्तुशांतिप्रयोग: Vastu Shanti Prayoga
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भारतीय कुण्डली विमर्श: Indian Horoscopes- A Study
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ज्योतिष फलितार्णव: Phalit Jyotish
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गौरीजातक: Gauri Jatak
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नव ग्रह साधना: Navagraha Sadhana
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कालपात्र: Kala Patra
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गोचर फल विचार: Gochara Phala Vichara
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ज्योतिष की कुछ महत्वपूर्ण किताबें

FAQs


ज्योतिष पर कौन सी पुस्तक आधारित है?

 

ज्योतिष शास्त्र से सर्वथा अनभिज्ञ किन्तु जिज्ञासु व्यक्ति के लिए, ज्योतिष शास्त्र क्या है, उसका परिचय, उसके मूलभूत नियम - सिद्धांत तथा ज्योतिष की शब्दावली को समझे बिना ज्योतिष के किसी भी प्रामाणिक ग्रंथ अथवा उनपर लिखे गए भाष्यों को समझना अत्यंत कठिन होता है।


इसलिए ऐसे जिज्ञासुओं को पहले किसी अनुभवी ज्योतिर्विद से अथवा किसी प्रतिष्ठित ज्योतिष शिक्षा संस्थान से ज्योतिष विद्या की आधारभूत शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। तदनंतर स्वाध्याय (अनेक ज्योतिष ग्रंथों के परिशीलन) के साथ-साथ अपने कुटुम्बियों, निकटस्थ संबंधियों तथा मित्रवर्ग की जन्मकुंडलियों का विश्लेषण करते हुए अभ्यास करना चाहिए।

 

ज्योतिष पर अच्छी पुस्तकें:

 

 फलदीपिका


 वृहत्संहिता


 वहत पराशर होरा शास्त्रं


 लघु पाराशरी


 चमत्कार चिंतामणि


 उत्तर कालामृत


 ज्योतिष रत्नाकर


 यवन जातकम


 मानसागरी


 दैव विचार माला (18 किताबों का संग्रह)


ज्योतिष का ज्ञान कैसे प्राप्त करें?


आप वाकई ज्योतिष सीखना चाहते हैं तो आप

 

 किसी को गुरु बनाएं और उनसे सीखें। मेरा मानना है कि आपको शुरुवाती ज्ञान गुरु से बेहतर कोई नहीं दे सकता।


 सब कुछ एक साथ सीखने के बजाए एक एक करके सीखें जैसे अष्टकवर्ग, दशा, गोचर, वर्ग कुंडलियों को पढ़ना इत्यादि।


 अध्यन करने से डरें नहीं। जितना ज्यादा अध्यन करेंगे उतना ज़्यादा पकड़ पाएंगे ज्योतिष के सिद्धांतों को।


☛ परिणाम पर पहोंचने की जल्दी ना करें , अध्ययन से पहले ही भविष्यवाणी करने की जल्दी हो जाती है, ऐसा मत कीजिए जैसे जैसे आपका अध्यन ज़्यादा होगा आपकी स्पीड खुद बन जाएगी।


☛ इन सबके चलते आप बिल्कुल सकारात्मक रहिए


Astrology कैसे सीखें?

 

कुछ शीर्ष कॉलेज जैसे : भारतीय ज्योतिष संस्थान, शास्त्र विश्वविद्यालय, श्री महर्षि कॉलेज ऑफ वैदिक ज्योतिषभारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थान. आदि ज्योतिष पर विभिन्न पाठ्यक्रम जैसे ज्योतिष में एमए, ज्योतिष में बीए, ज्योतिष में डिप्लोमा आदि प्रदान करते हैं।

 

☛ Udemy, AIFAS, आदि कुछ शीर्ष वेब (websites)पोर्टल हैं जो ज्योतिष पाठ्यक्रम ऑनलाइन प्रदान करते हैं

 

☛ तनिष्क टेलीटेक, सॉल्यूशन प्लैनेट प्राइवेट लिमिटेड, वर्चुअल ज्योतिषी, आदि जैसी विभिन्न भर्ती कंपनियों से पाठ्यक्रम पूरा किया जा सकता है।

 

☛ यूट्यूब, गूगल को अपना गुरु बनाएं और उसका अनुसरण करते जाएं, सोशल मीडिया और यूट्यूब जहां पर अनगिनत ज्योतिष शास्त्र से संबंधित लेख और वीडियो है, कोई भी व्यक्ति अपने अनुसार इनका प्रयोग कर सकता है।

 

☛ गुरु के द्वारा ज्योतिष का ज्ञान ग्रहण करना।


ज्योतिष शास्त्र कितने प्रकार के होते हैं?

 

प्राचीनकाल में गणित एवं ज्यौतिष समानार्थी थे परन्तु आगे चलकर इनके तीन भाग हो गए।

 

तन्त्र या सिद्धान्त - गणित द्वारा ग्रहों की गतियों और नक्षत्रों का ज्ञान प्राप्त करना तथा उन्हें निश्चित करना।

 

होरा - जिसका सम्बन्ध कुण्डली बनाने से था। इसके तीन उपविभाग थे - जातक, - यात्रा, - विवाह

 

शाखा - यह एक विस्तृत भाग था जिसमें शकुन परीक्षण, लक्षणपरीक्षण एवं भविष्य सूचन का विवरण था।

 

इन तीनों स्कन्धों का जो ज्ञाता होता था उसे 'संहितापारग' कहा जाता था।

 

तन्त्र या सिद्धान्त में मुख्यतः  दो भाग होते हैं, एक में ग्रह आदि की गणना और दूसरे में सृष्टि-आरम्भ, गोल विचार, यन्त्ररचना और कालगणना सम्बन्धी मान रहते हैं। तंत्र और सिद्धान्त को बिल्कुल पृथक् नहीं रखा जा सकता


ज्योतिष के प्रणेता कौन है?

 

ज्योतिष शास्त्र के अविष्कारक, प्रणेता भगवान शिव हैं। ज्योतिष ज्ञान को सबसे पहले शिव ने नंदी को दिया नंदी ने मां जगदम्बे को, फिर सप्त ऋषियों को और आगे जाकर त्रिकाल दर्शियों ने इस विद्या के रहस्य खोजे। लगध ऋषि वैदिक ज्योतिषशास्त्र की पुस्तक वेदांग ज्योतिष के प्रणेता है।


इनका काल १३५० पू माना जाता है। इस ग्रन्थ का उपयोग करके वैदिक यज्ञों के अनुष्ठान का समय निश्चित किया जाता था। इसे भारत में गणितीय खगोलशास्त्र पर आद्य कार्य माना जाता है। लगध ऋषि का एक प्रमुख नवोन्मेष तिथि (महीने का /३०) का एक मानक समय मात्रक के रूप में का प्रयोग है। इन्होंने ऋग्वेद से सम्बन्धित आर्य ज्योतिष तथा यजुर्वेद से सम्बन्धित यजुष ज्योतिष की भी रचना की।


ज्योतिष शास्त्र के रचयिता कौन है?

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्योतिष के 18 महर्षि प्रवर्तक या संस्थापक हुए हैं। कश्यप के मतानुसार इनके नाम क्रमश: सूर्य, पितामह, व्यास, वशिष्ट, अत्रि, पाराशर, कश्यप, नारद, गर्ग, मरीचि, मनु, अंगिरा, लोमेश, पौलिश, च्यवन, यवन, भृगु एवं शौनक हैं। महर्षि भृगु ज्योतिष के पहले संकलनकर्ता थे।

 

उन्हें हिंदू ज्योतिष के पिता के रूप में श्रेय दिया जाता है और पहली ज्योतिषीय ग्रंथ भृगु संहिता को उनके लेखक होने का श्रेय दिया जाता है। वह सात महान संतों में से एक थे, सप्तर्षि, ब्रह्मा द्वारा बनाए गए कई प्रजापतियों (सृष्टि के सूत्रधार) में से एक थे। भविष्यवाणिय ज्योतिष के पहले संकलनकर्ता, और ज्योतिषीय (ज्योतिष) क्लासिक, भृगु संहिता के लेखक भी, भृगु को ब्रह्मा का मनसा पुत्र ("मन-जन्म-पुत्र") माना जाता है।