कवि ग्वाल हिन्दी-साहित्य के रीतिकाल के अन्तिम प्रतिष्ठित आचार्य - कवि माने जाते हैं। ये रामपुर के शहजादे इमदादुल्लाह ख़ाँ साहब 'ताब', जो उनके शिष्य बन गये थे, के निमन्त्रण पर दो बार रामपुर आये। पहली बार इन्होंने राजाश्रय स्वीकार नहीं किया और मेहमान की तरह 7 महीने रहकर मथुरा चले गये। दूसरी बार विशेष आग्रह पर इन्होंने राजाश्रय स्वीकार कर दिया और एक साल नौ महीने रामपुर में रहे। इन्होंने 10 सितम्बर, सन् 1867 ई. को अन्तिम साँस रामुर में ही ली। उस समय रामपुर में नवाब कल्वे अली खाँ का शासन था। इस प्रकार कवि ग्वाल ने रामपुर रियासत के अधीन लगभग ढाई वर्ष व्यतीत किया। एक प्रख्यात कवि के रामपुर से जुड़ने पर रामपुर नगर को गर्व है और रामपुर निवासी आज भी गर्व से कहते हैं कि ग्वाल हमारे कवि हैं।
कवि ग्वाल ने विपुल साहित्य लिखा, लेकिन जीवन का अधिकांश समय पंजाब की विभिन्न रियासतों में बिताने के कारण हिन्दी भाषी क्षेत्रों में उनका साहित्य आधा-अधूरा ही उपलब्ध होता है और प्रकाशित तो बहुत ही कम है। अब तक उनकी 4-5 पुस्तकें ही प्रकाशित हो पायी है और वह भी बहुत पहले प्रकाशित हुई थीं। उनकी पुस्तकों में 'रसरंग' अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल उनकी परिपक्वावस्था में रची गयी, बल्कि सम्पूर्ण रूप में उपलब्ध भी है। यह पुस्तक अब तक अप्रकाशित ही थी। रामपुर रज़ा लाइब्रेरी रामपुर का यह सौभाग्य है कि ग्वाल की इस अत्यधिक महत्वपूर्ण पुस्तक को छपवा रही है। यह रामपुर रियासत और उसकी अभूतपूर्व धरोहर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी को अपने आश्रित कवि को एक श्रद्धांजलि ही है। हमारा प्रयास रहेगा कि हम ग्वाल की अन्य पुस्तकें भी इस लाइब्रेरी से प्रकाशित कराये।
Hindu (हिंदू धर्म) (13471)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (716)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2080)
Chaukhamba | चौखंबा (3183)
Jyotish (ज्योतिष) (1542)
Yoga (योग) (1154)
Ramayana (रामायण) (1337)
Gita Press (गीता प्रेस) (724)
Sahitya (साहित्य) (24603)
History (इतिहास) (8956)
Philosophy (दर्शन) (3600)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (115)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Visual Search
Manage Wishlist