Translations of Representative Poems from 1970 to 1989
प्रख्यात सिने गीतकार, प्रगतिशील कवि एवं सफल अध्यापक के रूप में प्रोफेसर ओ० एन० वी० कुरुप का केरल में महत्वपूर्ण स्थान है। चूँकि उनकी साहित्य-साधना मातृभाषा मलयालम में रही, इसलिए वे भारतीय स्तर पर उतने जाने-पहचाने नहीं गये जितने कि केरल में। केरलीय जनता के जिह्वाग्र पर उनकी कविता-कामिनी सदा नाचती-थिरकती रहती है।
ओ० एन० वी० कुरुप के काव्य-साहित्य का अपेक्षित मात्रा में अनुवाद कार्य अभी हिन्दी में नहीं हो सका। बात यह है कि उनकी कविता जितनी भाव-सान्द्र अनुभूतियों से बोझिल है, उतनी ही वह अपने पद-लालित्य, संगीतात्मकता एवं गेयता से भी भरपूर है कि उसका सफल भाषान्तरण बड़ा दुष्कर कार्य है। अतः बहुत कम अनुवादकों का ध्यान इस ओर केन्द्रित हुआ।
प्रस्तुत संग्रह में ओ० एन० वी० की छोटी-बड़ी पच्चीस कविताओं का अनुवाद समाविष्ट है। किसी भी कविता का अनुवाद, वह भी कविता में, करके विजय पाना सहज सरल कार्य नहीं है। प्रकृत्या कवि न होने के कारण काव्यानुवाद में मेरी कठिनाई और भी बढ़ जाती है। अपनी सीमा से पूर्णतया अवगत होने के कारण मैंने अपने अनुवाद में कवि के भावों की यथासंभव रक्षा करने की ओर विशेष ध्यान दिया है, फलतः उनके काव्य में अनायास प्राप्त प्रसाद गुण, पद-मैत्री एवं स्वर-मैत्री यहाँ सर्वथा उपेक्षित रह गयी।
ओ० एन० वी० की काव्य-साघना तथा उसकी मौलिक विशेषताओं का एक परिचयात्मक लेख भूमिका के रूप में जोड़ दिया गया है, जिसके सहारे केरलेतर साहित्य-जिज्ञासु पाठक उनके काव्य की एक झाँकी प्राप्त कर सकेंगे।
मलयालम के यशस्वी कवि प्रोफेसर ओ० एन० वी० कुरुप को समझने-परखने में यह अनुवाद कुछ सीमा तक अगर सहायक हुआ, तो मैं अपने विनम्र प्रयास को चरितार्थ मानूँगा।
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