मेरे मन में विष्णु पुराण को पढ़ने की उत्कण्ठा काफी वर्षों से हिलोरें मार रही थी। इसी बीच प्राइवेट चैनल पर एक दिन विष्णु पुराण सीरियल के कुछ एपीसोड देखे। पूरा देखने की इच्छा प्रबल हो गयी। इस कोरोना के कारण बहुत लोगों ने बहुत संख्या में अपनों को खोया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। राष्ट्रीय चैनल ने एक बहुत अच्छा कार्य यह किया कि पुराने धार्मिक सीरियल के साथ-साथ अच्छे-अच्छे सीरियल दिखाकर लॉकडाउन के समय में घर पर रहने वाले लोगों के मनोरंजन के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाया। इसी क्रम में राष्ट्रीय चैनल पर मैंने शनिवार को बी.आई.एन.जी.ई. (बिंज) सीरीज के रूप में दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक लगातार 4-5 एपीसोड विष्णु पुराण के देखने का अवसर प्राप्त किया। इस अवसर को मैंने प्रभु-कृपा के रूप में माना और सोचा सीरियल देखकर फिर अन्य के समान ही भूल जाऊँगा क्यों न इसको लिख लिया जाए और फिर लिखने लगा। बचपन से अपनी माता जी से एवं अन्य प्रबुद्धजनों से धार्मिक पुस्तकों को पढ़कर कुछ तो ज्ञान प्राप्त किया था। इस कारण भी अत्यंत आनन्द की अनुभूति हुयी। पूरा विष्णु पुराण मैंने क्रमबद्ध रूप से लिख लिया। इस बीच में संकटमोचन हनुमान सीरियल भी चल रहा था उसको भी देखता रहा। चूंकि बचपन से रामायण, महाभारत को पढ़ते रहे श्री मद् भागवत को कई बार पढ़ने का और देश के महान कथा वाचकों के मुख से सुनने का भी सौभाग्य प्राप्त किया है। मुझे विशेष रूप से हनुमान जी की कथा और चरित्र ने प्रभावित किया था। मेरे कई मित्रों ने मुझसे हनुमान जी के विषय में कुछ लिखने को कहा था। परन्तु हनुमान जी के विषय में क्रमबद्ध रूप से ज्ञान मेरे पास नहीं था। विष्णु पुराण जैसे ही समाप्त हुआ।
राष्ट्रीय चैनल पर बी.आई.एन.जी.ई. (बिंज) सीरीज के रूप में 'संकट मोचन हनुमान" सीरियल शनिवार को दोपहर 1-5 बजे के बीच प्रारम्भ हो गया। तो मेरी पत्नी और उनकी छोटी बहिन जो कि मेरे छोटे भाई की पत्नी भी थी, ने कहा कि आप हनुमान जी पर कुछ लिखना चाह रहे थे अब इसको देखकर क्रमबद्ध रूप से लिख सकते हैं। मैंने भी सोचा लगता है कि प्रभु की भी ऐसी ही इच्छा है इसलिए प्रारम्भ से बी. आई.एन.जी.ई. सीरीज में आ रहा है। मैंने लिखना प्रारम्भकर दिया और प्रभु की कृपा से वह भी पूर्ण हो गया। मैंने दौनों स्वान्तः सुखाय के लिए लिखे थे। परन्तु काफी मित्रों और रिश्तेदारों के अनेक बार अनुरोध करने पर मैंने श्री वी. के. जौहरी जी से जो कि पुस्तकों के अंग्रेजी भाषा के गणमान्य लेखक के साथ ही सैन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया फैजाबाद रोड शाखा के मुख्य प्रबंधक हैं, और उनकी एक अंग्रेजी भाषा की पुस्तक "रुद्रा" का हिन्दी अनुवाद करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है, से वार्ता की। उन्होंने भी प्रोत्साहित किया और यह पुस्तक आपके समक्ष है।
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