पंजाब का लेखक : आधार एवं स्पष्टीकरण पंजाब प्रदेश का संकल्प
पंजाब प्रदेश (वैदिक कालीन सप्तसिंधु) अनेक दृष्टियों से भारत का महत्त्वपूर्ण प्रदेश रहा है तथा आज भी स्वीकार किया जाता है। इसकी सांस्कृतिक एवं साहित्यिक परम्परा अत्यंत समृद्ध है- भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रहा है। वैदिक मंत्रों का सर्वप्रथम उच्चार इसी प्रदेश में हुआ, इसीलिए वैदिक संस्कृति तथा साहित्य का उत्स यही प्रदेश है। इस प्रदेश को ऋषियों, पीरों फकीरों की धरती माना जाता है। सम्राट हर्ष-वर्धन का सम्बंध इसी प्रदेश से रहा है, गोरखनाथ का जन्मस्थान यही धरती मानी जाती है। गुरुओं के कारण यह प्रदेश इतिहास, संस्कृति एवं साहित्य की दृष्टि से विशेष स्थान प्राप्त कर चुका है। हिंदी साहित्य में गोरखनाथ को अग्रिम कवि स्वीकारने से इसका महत्त्व निर्विवाद मान्य है। वैदिक संस्कृत के बाद पालि-प्राकृत तथा अप्रभंश में उपलब्ध साहित्य के कारण इस प्रदेश का विशेष महत्त्व रहा है। यह परम्परा मध्यकाल में आकर अधिक समृद्ध हुई- इसे डॉ. मनमोहन सहगल ने अध्ययन की सुविधा के लिए अनेक उपशीर्षकों में विभाजित किया है। (द्रष्टव्य- मध्यकालीन हिन्दी साहित्य पंजाब का संदर्भ, पृ. 17-18)
पंजाब में रचित हिंदी साहित्य की चर्चा अनेक दृष्टियों एवं पक्षों के आधार पर शोध प्रबंधों एवं साहित्य के इतिहास ग्रंथों में की गई है। भक्ति, रीति साहित्य की परम्परा की चर्चा अनेक ग्रंथों में है पर पंजाब के आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास पर कोई स्वतंत्र ग्रंथ प्रकाशित नहीं हुआ है। हां, सर्वप्रथम एक योजना के अन्तर्गत आज से लगभग दस वर्ष पूर्व पंजाब का हिंदी साहित्य (प्राचीन तथा आधुनिक काल) लिखवाने का कार्य शुरू हुआ। दो खण्डों में इस योजना को फलीभूत करने के तब से प्रयास भाषा विभाग करता रहा है। 'पंजाब का हिंदी साहित्य आधुनिक काल' को पुस्तक रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। प्राचीन साहित्य पर दूसरा खण्ड तैयार हो रहा है। प्रस्तुत ग्रंथ में सभी विधाओं में पंजाब के महत्त्वपूर्ण हिंदी लेखकों के योगदान की प्रस्तुति है। हमारा तथा भाषा विभाग का प्रयास रहा है कि इसमें आधुनिक साहित्त्य का समग्र स्वरूप प्रस्तुत हो । प्रस्तुत ग्रंथ को अनेक अध्यायों में विभाजित किया गया है-युगीन परिस्थितियों के साथ ही इसे कविता, नाटक, उपन्यास, कहानी, आलोचना, अनुसंधान, जीवनी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, निबंध, पत्रकारिता एवं अनुवाद सरीखे खण्ड बनाए गए हैं। बाल साहित्य का परिचय इसी भूमिका में दे दिया गया है।
पंजाब का लेखक: प्रमुख आधार
पंजाब का लेखक - साहित्यकार किसे माना जाय, यह समस्या आधुनिक साहित्य के संदर्भ में विचारणीय है। प्रत्येक विद्वान का इस सम्बंध में अपना आधार रहा है। पर एक आधार सभी ने स्वीकार किया है। इसीलिए हमने प्रस्तुत संच में चर्चित साहित्यकारों को एक आधार पर लेना चाहा है। प्रथम तो पंजाब को तीन रूपों में ध्यान में रखना होगा (क) भारत-पाक विभाजन से पूर्व का संयुक्त पंजाब इसमें पाकिस्तान का भाग भी सम्मिलित है, (ख) 15 अगस्त 1947 के विभाजन के बाद का पंजाब- जिसमें वर्तमान पंजाब के साथ हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश सम्मिलित है, (ग) नवम्बर 1966 का पंजाब जिसमें वर्तमान पंजाच आता है। हम इन तीन स्थितियों में पंजाब में जन्मे सभी साहित्यकारों को पंजाब का लेखक मानते हैं यह निर्विवाद स्वीकार्य आधार है। इसमें वे सभी साहित्यकर्मी भी सम्मिलित हैं जिनका जन्म पंजाब में हुआ पर वे व्यवसाय या परिवार के कारण पंजाब से बाहर रहते हों। इसमें पद्मश्री चिरंजीत, "दिनेश से लेकर बलदेव वशी, सौमित्र मोहन, नरेन्द्र मोहन तथा तारकनाथ बाली सभी लेखक सम्मिलित है। पंजाब में जन्म न लेकर भी जो लेखक व्यवसाय अथवा अन्य किसी कारण से लम्बे समय से पंजाब में रह रहे हैं, हम उन्हें भी पंजाब का लेखक मानते हैं। यथा रमेश कुन्तल मेघ, पुष्पपाल सिंह, जय प्रकाश सरीखे अनेक लेखक जो पंजाब में जन्म न लेकर भी पर्याप्त समय से इस मिट्टी से जुड़े हैं।
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