पुस्तक परिचय
भारतीय सत्य इतिहास को प्रकाशित करने वाले वैदिक वाङ्मय का इतिहास, भारतवर्ष का इतिहास, तथा भारतवर्ष का वृहद् इतिहास आदि ग्रन्थों के अनुक्रम में यह पुस्तक अद्वितीय है । लेखक ने वर्तमान भाषा मत के दोषों का उन्मूलन कर प्राचीन भारतीय आर्य ग्रन्यों की सहायता से इसे मत मात्र से उपर उठाकर भाषा विद्या के स्थान तक पहुँचाया है ।
पश्चिम के सर्वमान्य भाषाविदों के विभिन्न मत भी प्राय उद्धृत किये गए है । जर्मन लेखकों का भाषा विद्या विषयक मिथ्याभिमान परीक्षित किया गया है और उसका खोखलापन दर्शाया गया है ।
सत्यवक्ता, नीरजस्तम, तत्त्ववेत्ता, महाज्ञान सम्पन्न आर्य विद्वान् मूल भाषा संस्कृत के क्यों उपासक थे, और विकृत, कलुषित अपभ्रंशों के क्यों विरोधी थे, यह तथ्य इस ग्रन्थ के अध्ययन से स्पष्ट होगा ।
प्रकाशकीय
श्री पं० भगवद्दत्त जी का स्नेह, आशीर्वाद व सहयोग गोविन्दराम हासानन्द को सदैव मिलता रहा है । सन् 1962 में स्व० श्री विजयकुमार जी के आग्रह पर पं० भगवद्दत्त जी ने सत्यार्थ प्रकाश का एक बहुपयोगी संस्करण अत्यन्त परिश्रम से तैयार किया जिसका प्रकाशन निरन्तर हो रहा है ।
पं० भगवद्दत्त जी की कालजयी कृति भाषा का इतिहास का प्रकाशन कर मुझे अत्यन्त गौरव अनुभव हो रहा है । यह ग्रन्थ पर्याप्त समय से अनुपलब्ध था तथा विद्वानों विद्यार्थियों, अनुसंधानकर्ताओं तथा सुधी पाठकों द्वारा निरन्तर इसकी माग की जा रही थी ।
मैं आभारी हूँ श्रीमती श्रुति जी का जिनकी अनुमति से इसका पुन प्रकाशन सम्भव हो पाया ।
मेरा प्रयास होगा की इस ग्रन्थ का अगला संस्करण कम्प्यूटर द्वारा पुन मुद्रित कर और भी भव्य साज सज्जा के साथ प्रस्तुत किया जाए ।
विषय सूची |
||
1 |
भाषा की उत्पत्ति |
1 |
2 |
भाषा की वृद्धि वा ह्रास |
20 |
3 |
भाषा परिवर्तन |
36 |
4 |
सादृश्य |
55 |
5 |
पद और उसका स्वरूप |
62 |
6 |
शब्दार्थ सम्बन्ध तथा अर्थपरिवर्तन आदि |
77 |
7 |
वर्ण विमर्श लिपि और वर्ण उच्चारण |
87 |
8 |
उच्चारण विकार (ध्वनि विपर्यास) |
107 |
9 |
भाषा विज्ञान वा भाषा मत |
137 |
10 |
अतिभाषा आदिभाषा |
142 |
11 |
भाषाओं का पाश्चात्य वर्गीकरण |
177 |
12 |
इण्डोयोरोपियन (प्राक्भारोपीय भाषा) |
193 |
13 |
वेदवाक् |
203 |
14 |
ईरानी भाषा |
213 |
15 |
हित्ती भाषा |
219 |
16 |
यावनी ( ग्रीक) भाषा |
223 |
17 |
प्राकृत |
231 |
18 |
द्राविड़ आदि भाषाएँ |
248 |
19 |
अपभ्रश |
253 |
20 |
हिन्दी पंजाबी |
258 |
21 |
अंग्रेज़ी |
269 |
पुस्तक परिचय
भारतीय सत्य इतिहास को प्रकाशित करने वाले वैदिक वाङ्मय का इतिहास, भारतवर्ष का इतिहास, तथा भारतवर्ष का वृहद् इतिहास आदि ग्रन्थों के अनुक्रम में यह पुस्तक अद्वितीय है । लेखक ने वर्तमान भाषा मत के दोषों का उन्मूलन कर प्राचीन भारतीय आर्य ग्रन्यों की सहायता से इसे मत मात्र से उपर उठाकर भाषा विद्या के स्थान तक पहुँचाया है ।
पश्चिम के सर्वमान्य भाषाविदों के विभिन्न मत भी प्राय उद्धृत किये गए है । जर्मन लेखकों का भाषा विद्या विषयक मिथ्याभिमान परीक्षित किया गया है और उसका खोखलापन दर्शाया गया है ।
सत्यवक्ता, नीरजस्तम, तत्त्ववेत्ता, महाज्ञान सम्पन्न आर्य विद्वान् मूल भाषा संस्कृत के क्यों उपासक थे, और विकृत, कलुषित अपभ्रंशों के क्यों विरोधी थे, यह तथ्य इस ग्रन्थ के अध्ययन से स्पष्ट होगा ।
प्रकाशकीय
श्री पं० भगवद्दत्त जी का स्नेह, आशीर्वाद व सहयोग गोविन्दराम हासानन्द को सदैव मिलता रहा है । सन् 1962 में स्व० श्री विजयकुमार जी के आग्रह पर पं० भगवद्दत्त जी ने सत्यार्थ प्रकाश का एक बहुपयोगी संस्करण अत्यन्त परिश्रम से तैयार किया जिसका प्रकाशन निरन्तर हो रहा है ।
पं० भगवद्दत्त जी की कालजयी कृति भाषा का इतिहास का प्रकाशन कर मुझे अत्यन्त गौरव अनुभव हो रहा है । यह ग्रन्थ पर्याप्त समय से अनुपलब्ध था तथा विद्वानों विद्यार्थियों, अनुसंधानकर्ताओं तथा सुधी पाठकों द्वारा निरन्तर इसकी माग की जा रही थी ।
मैं आभारी हूँ श्रीमती श्रुति जी का जिनकी अनुमति से इसका पुन प्रकाशन सम्भव हो पाया ।
मेरा प्रयास होगा की इस ग्रन्थ का अगला संस्करण कम्प्यूटर द्वारा पुन मुद्रित कर और भी भव्य साज सज्जा के साथ प्रस्तुत किया जाए ।
विषय सूची |
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1 |
भाषा की उत्पत्ति |
1 |
2 |
भाषा की वृद्धि वा ह्रास |
20 |
3 |
भाषा परिवर्तन |
36 |
4 |
सादृश्य |
55 |
5 |
पद और उसका स्वरूप |
62 |
6 |
शब्दार्थ सम्बन्ध तथा अर्थपरिवर्तन आदि |
77 |
7 |
वर्ण विमर्श लिपि और वर्ण उच्चारण |
87 |
8 |
उच्चारण विकार (ध्वनि विपर्यास) |
107 |
9 |
भाषा विज्ञान वा भाषा मत |
137 |
10 |
अतिभाषा आदिभाषा |
142 |
11 |
भाषाओं का पाश्चात्य वर्गीकरण |
177 |
12 |
इण्डोयोरोपियन (प्राक्भारोपीय भाषा) |
193 |
13 |
वेदवाक् |
203 |
14 |
ईरानी भाषा |
213 |
15 |
हित्ती भाषा |
219 |
16 |
यावनी ( ग्रीक) भाषा |
223 |
17 |
प्राकृत |
231 |
18 |
द्राविड़ आदि भाषाएँ |
248 |
19 |
अपभ्रश |
253 |
20 |
हिन्दी पंजाबी |
258 |
21 |
अंग्रेज़ी |
269 |