पदमविभूषण जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य भारत के प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, महाकवि, भाष्कर, दार्शनिक, रचनाकार, संगीतकार प्रवचनकार, कथाकार व धर्मगुरु हैं ! वे चित्रकूट स्थित श्रीतुलसीपीठ के संस्थापक एवं अध्यक्ष और जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं आजीवन कुलाधिपति है! स्वामी रामभद्राचार्य दो मास की आयुसे प्रज्ञाचक्षु होते हुए बहु २२ भाषाओँ के ज्ञाता अनेक, अनेक भाषाओँ में आशुकवि और शताधिक ग्रंथों के रचयिता है उनकी रचनाओं में चार महाकाव्य ( दो संस्कृत और दो हिंदी में) रामचरित मानस पर हिंदी टिक, अष्टाध्यायी गद्य और पद्य में संस्कृत वृत्तियाँ, और प्रस्थानत्रयीपर (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता, और प्रधान उपनिषदों पर ) संस्कृत और हिंदी भाष्य प्रमुख है! वे तुलसीदास पर भारत के मूर्धन्य विशेषज्ञों में गिने जाते है और रामचरितमानस के एक प्रामाणिक संस्करण के संपादक है!
प्रस्तुत पुस्तक सनातन धर्म के सर्वाधिक लोकप्रिय स्तोत्र श्री हनुमान चालीसा पर स्वामी रामभद्राचार्य महावीरी व्याख्या का तृत्तीय संस्करण है ईसवी सन १९८३ में मात्र एक दिन में प्रणीत इस व्याख्या को सर्वेश्रेष्ठ व्याख्या कहा है !
पदमविभूषण जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य भारत के प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, महाकवि, भाष्कर, दार्शनिक, रचनाकार, संगीतकार प्रवचनकार, कथाकार व धर्मगुरु हैं ! वे चित्रकूट स्थित श्रीतुलसीपीठ के संस्थापक एवं अध्यक्ष और जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं आजीवन कुलाधिपति है! स्वामी रामभद्राचार्य दो मास की आयुसे प्रज्ञाचक्षु होते हुए बहु २२ भाषाओँ के ज्ञाता अनेक, अनेक भाषाओँ में आशुकवि और शताधिक ग्रंथों के रचयिता है उनकी रचनाओं में चार महाकाव्य ( दो संस्कृत और दो हिंदी में) रामचरित मानस पर हिंदी टिक, अष्टाध्यायी गद्य और पद्य में संस्कृत वृत्तियाँ, और प्रस्थानत्रयीपर (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता, और प्रधान उपनिषदों पर ) संस्कृत और हिंदी भाष्य प्रमुख है! वे तुलसीदास पर भारत के मूर्धन्य विशेषज्ञों में गिने जाते है और रामचरितमानस के एक प्रामाणिक संस्करण के संपादक है!
प्रस्तुत पुस्तक सनातन धर्म के सर्वाधिक लोकप्रिय स्तोत्र श्री हनुमान चालीसा पर स्वामी रामभद्राचार्य महावीरी व्याख्या का तृत्तीय संस्करण है ईसवी सन १९८३ में मात्र एक दिन में प्रणीत इस व्याख्या को सर्वेश्रेष्ठ व्याख्या कहा है !