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परिवेश- Parivesh (Reminiscences & Bellers Letters)

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Specifications
Publisher: Bharatiya Jnanpith, New Delhi
Author Mohan Rakesh
Language: Hindi
Pages: 159
Cover: HARDCOVER
9x6 inch
Weight 310 gm
Edition: 2011
ISBN: 9788126317820
HBV080
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Book Description
पुस्तक परिचय
हमारे समय और समाज के यथार्थ का चेहरा विकट झुर्रियों, अवसादों और विघटन से भरा है। इस वास्तविकता का साक्षात्कार करते हुए मनुष्य पर इसके प्रभावी परिणामों का दर्ज होना अप्रत्याशित नहीं है। इन प्रभावों को नज़रन्दाज़ करने पर न तो जीवन का औचित्य रह जाता है न ही रचना का। मोहन राकेश इन प्रभावों की गहन संवेदना के साथ बारीक़ पड़ताल करनेवाले महत्त्वपूर्ण रचनाकार हैं। इसीलिए जमीनी सच्चाइयाँ राकेश की रचनात्मकता और उनके जीवन में 'जमीन से काग़ज़ों तक' प्रसरित दीखती हैं। 'परिवेश' के लेख मोहन राकेश के रचना-संसार के वे साक्ष्य हैं जहाँ रचनात्मकता और जीवन-दर्शन के सूत्र कभी परोक्ष तो कई बार प्रत्यक्ष रूप में घटित हुए हैं। इन लेखों में रोमांस, अकेलापन, रोमांच, अन्दर के घाव मिलते और बिखर जाते अहसासों की उपस्थिति 'अनुभूति से अभिव्यक्ति' तक उस विलक्षण 'विट' के साथ दृष्टव्य है जो मोहन राकेश की रचनाओं को विशिष्ट बनाती रही है। मौजूदा नये यथार्थ में नवीन लक्ष्यों की ओर उन्मुखता हेतु व्यक्ति का आवश्यक असन्तोष और अस्वीकृति जिस व्यंग्यात्मक 'टोन' में राकेश उपस्थित करते हैं वहाँ उसाँस और साँस की सम्मिलित गूंज सुनी जा सकती है। यही वह प्रस्थान है जो मोहन राकेश की सृजनात्मक-यात्रा को बहुआयामी और कालजयी बनाता है। इस अर्थ में 'परिवेश' में संकलित लेखों का महत्त्व विशेष है; कि मोहन राकेश के रचनात्मक व्यक्तित्व की बुनावट, बनावट और विश्रृंखल स्वरूप की अखंड सम्बद्धता का सूत्र यहाँ प्राप्त किया जा सकता है। प्रस्तुत है 'परिवेश' का पुनर्नवा संस्करण।

लेखक परिचय
मोहन राकेश जन्म : 8 जनवरी, 1925; जंडीवाली गली, अमृतसर (पंजाब)। शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री, अँग्रेजी में बी.ए.। संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.। जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्धर और दिल्ली में अध्यापन व सम्पादन करते हुए अन्ततः स्वतन्त्र लेखन। प्रकाशित कृतियाँ : 'इनसान के खंडहर', 'नये बादल', 'जानवर और जानवर', 'एक और जिन्दगी', 'फ़ौलाद का आकाश' और 'एक घटना' (कहानी-संग्रह); 'अँधेरे बन्द कमरे', 'न आने वाला कल' और 'अन्तराल' (उपन्यास); 'आख़िरी चट्टान तक' (यात्रावृत्त); 'आपाढ का एक दिन', 'लहरों के राजहंस', 'आधे अधूरे', 'पैर तले की जमीन', 'अंडे के छिलके', 'रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक' (नाटक); 'परिवेश', 'बकलम खुद' एवं 'साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि' (लेख व निबन्ध); 'राकेश और परिवेश पत्रों में' एवं 'एकत्र' (पत्र); 'मृच्छकटिक' और 'शाकुन्तल' (अनुवाद)। 'अँधेरे बन्द कमरे' का अँग्रेजी और रूसी भाषा में अनुवाद। 'आषाढ का एक दिन' नामक नाट्य-रचना के लिए और 'आधे-अधूरे' के रचनाकार के नाते संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत सम्मानित। निधन : 3 दिसम्बर 1972 (दिल्ली)।

प्रकाशकीय
भारतीय ज्ञानपीठ को यह गौरव प्राप्त है कि उसने अपने स्थापना काल से लेकर आज तक प्रत्येक पीढ़ी के श्रेष्ठ रचनाकारों को प्रकाशित एवं प्रतिष्ठित किया है। मौलिकता, प्रतिभा और रचनात्मक सामर्थ्य को पहचानने में ज्ञानपीठ की दृष्टि अचूक रही है। ज्ञानपीठ ने अनेक रचनाकारों की पहली पहली पुस्तकें प्रकाशित कीं और कालान्तर में ये रचनाकार अपने-अपने क्षेत्र के यशस्वी हस्ताक्षर सिद्ध हुए। मोहन राकेश ऐसे ही विलक्षण रचनाकारों में से एक हैं। कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबन्धकार आदि रूपों में मोहन राकेश ने नये प्रस्थान निर्मित किए हैं। मोहन राकेश की परवर्ती पीढ़ियों पर उनका प्रभाव यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि मोहन राकेश जैसे लेखक पर 'कालातीत' विशेषण शत-प्रतिशत खरा उतरता है। जो रचनाकार अपने समय और समाज को 'यथासम्भव समग्रता' में देखता और चित्रित करता है, उसका लेखन आने वाले समयों के लिए भी सार्थक बना रहता है। मोहन राकेश ने विराट मानवीय नियति के विस्तार में जाकर जीवन की इकाइयों का मूल्यांकन किया है। व्यक्ति और समाज के जाने कितने संवाद और विसंवाद उनकी रचनाओं में प्राप्त होते हैं। 'अस्मिता-विमर्श' के इस युग में मोहन राकेश की अनेक रचनाएँ व्यक्ति की अस्मिता का संवेदनात्मक परीक्षण करती हैं। 'परिवेश' मोहन राकेश के लेखों का संग्रह है जो 1967 में प्रथम बार भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हुआ था। इस उत्कृष्ट लेख संग्रह का पुनर्नवा संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता है। विश्वास है स्तरीय साहित्य के अनुरागी पाठक और विशेषकर मोहन राकेश के प्रशंसक इस पुनर्नवा संस्करण का हृदय से स्वागत करेंगे।

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