पशुओं और मनुष्य के संबंध का इतिहास बहुत पुराना है। मनुष्य की सभ्यता के विकास क्रम में कृषि के समानांतर ही पशुओं को पालतू बनाने का भी क्रम गतिमान रहा। पशु पालन के साथ ही उनकी देखभाल और चराने का कार्य मनुष्य की, सभ्यता यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु है। कृषि और पशु पालन के विकास के साथ ही सामाजिक रूप से कार्यों के प्रारंभिक बंटवारे के कारण कई तरह की जीवन शैलियों का भी विकास हुआ। विभिन्न आवश्यकताओं के आधार पर विभिन्न पेशों के विकास क्रम के कारण, विभिन्न जातियों और उपजातियों का भी विकास इसी का परिणाम है। इसी क्रम में पशुओं के चराने का कार्य भी एक जातिकार्य के रूप में अपनी जगह बनाता चला गया। विश्व भर में पशुचारण इस प्रकार लगभग अनादि व्यवसाय रहा है। हमने ऐसे ही एक पशुचारक जाति 'ठाट्या' के सांस्कृतिक अध्ययन का प्रयास किया है।
ग्रामीण जीवन में पालतू पशुओं की अपनी महत्ता है। इन्हीं के इर्द-गिर्द ग्रामीण जीवन का ताना-बाना बुना हुआ है। पशुओं के साथ मनुष्य के साहचर्य की, विश्व की हर सभ्यता और संस्कृति में फैली दंत कथाएँ इन्हीं संबंधों के भाव जगत का विस्तृत विवेचन है। सामूहिकता और परस्पर निर्भरता ग्रामीण जीवन का आधारभूत ढाँचा है। ग्रामों में जीवन की सामूहिकता और समूह की समग्रता जीवित बने रहने का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। संभवतः इसीलिए ग्राम्य संस्कृति में सामूहिक नृत्यों का चलन है, एकल का नहीं। ठाट्या, गाँव के पशुओं को चराते हैं और पूरा गाँव उनके भरण-पोषण का ध्यान रखता है। यह ग्राम्य जीवन में परस्पर निर्भरता का अनूठा उदाहरण है। चूंकि ठाट्या, पशुओं को चराने का कार्य अनवरत् करता है, इसलिए पशुओं का अधिपति भी समझा जाता है, दिनभर उसके ही संरक्षण में पशु रहते हैं, इसी कारण पशुओं के प्रति एक निष्ठा और आत्मीयता भी उसमें होती है। ठाट्या, पशुओं को वर्ष के हर दिन चराने ले ही जाता है। उनको भूखा नहीं रखा जा सकता इसीलिए ठाट्या के जीवन में वर्ष के बारहों महिनों कोई अवकाश नहीं होता। हाँ, दीपावली त्योहार के समय वह अवकाश मनाता है।
Hindu (हिंदू धर्म) (13447)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (715)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2074)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1544)
Yoga (योग) (1154)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24553)
History (इतिहास) (8927)
Philosophy (दर्शन) (3592)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist