पुस्तक परिचय
यह पुस्तक एक नये विषय ऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल में जलयान विषयक आधुनिक प्रबन्धन की परिकल्पना' को छूती है। जिसमें ऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल के चयनित सूक्तों का वैज्ञानिक भाष्य करते हुए जलयान विषयक आधुनिक प्रबन्धन के ज्ञान के विषय में चर्चा की गई है। इस पुस्तक को 7 अध्यायों में विभक्त किया गया है। इस पुस्तक को प्रारम्भ करने के लिए प्रथम अध्याय में विषय प्रवेश के अंतर्गत वेदों की उत्पत्ति तथा वैदिक काल के विषय में बताया गया है। अध्याय 2 में ऋग्वेद के चयनित क्रमशः 51 मन्त्रों में समुद्री लहरों में जल यान संबन्धी आधुनिक वैज्ञानिक प्रबन्धन से संबन्धित विषयों पर ज्ञान संकलित किया गया है। अध्याय 3 में ऋग्वेद मण्डल 4 के सूक्त 2 के मन्त्र 1 से 20 तक 20 मन्त्रों का वैज्ञानिक अर्थ किया है जिसमें विषय बनावट, सहभाग व क्रिया पर मार्गदर्शन है। अध्याय 4 में ऋग्वेद मण्डल 4 के सूक्त 3 के मन्त्र 1 से 16 तक 16 मन्त्रों का वैज्ञानिक अर्थ किया है जिसमें विषय बनावट व सुधार पर मार्गदर्शन है। अध्याय 5 में ऋग्वेद मण्डल 4 के सूक्त 4 के मन्त्र 1 से 15 तक 15 मन्त्रों का वैज्ञानिक अर्थ किया है जिसमें विषय कार्य विधि व क्रिया का निर्देश है। अध्याय 6 व 7 में ऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल के द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ सूक्तों के मन्त्रों की वैज्ञानिक विवेचना व सारांश है। इन 51 मन्त्रों की वैज्ञानिक विवेचना करने पर जल यान के बनावट, निर्माण, क्रियानवयन व रखरखाव आदि पर विभिन्न विन्दुओं पर समुद्री लहरों में जल यान संबन्धी आधुनिक वैज्ञानिक प्रबन्धन से संबन्धित सकारात्मक सोच, विज्ञान में बनावट, ग्राहक संतुष्टि, जलयान का क्रियान्वयन, सुधार, अनुभव, योजना, समन्वय, विचार गोष्ठी, सुधार, वैज्ञानिक क्रिया उत्थान, कर्मचारी प्रशंसा, ज्ञान उत्थान, वफादारी, पुस्तक रूप, प्रतिक्रिया आंकलन, आपातकालीन धन, राज्य कर्म, जलयान प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, सुरक्षा, उत्थान, पारदर्शिता, प्रतिनिधि तथा नियम और नीति आदि विषयों पर ज्ञान विभिन्न मन्त्रों में मिलता है। इन आधुनिक विषयों पर दूसरे अध्याय में विस्तार से चर्चा की गई है। यह पुस्तक इसी दिशा में वैदिक साहित्य के चयनित मन्त्रों में आधुनिक विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में मन्त्रों की वैज्ञानिक परिकल्पना करने का एक प्रयास मात्र है।
लेखक परिचय
नामः डा० (इंजी०) शिव प्रकाश अग्रवाल जन्मः 11 जुलाई सन 195 जन्म स्थान इटावा, उ०प्र० के प्रारम्भिक शिक्षा इटावा तकनीकी शिक्षा: आई० आई० टी०, रुड़की से B.E.-Electrical सेवा भारत हेबी इलैक्टिकल लिमिटेड, हरिद्वार में इंजीनियर, प्रबन्धक तथा महाप्रबन्धक आदि पदों पर वैदिक शिक्षा सेवा निवृत्ति के बाद गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से वैदिक साहित्य में एम०ए० तथा पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की। रुचि वेदों के विषय में स्वामी दयानन्द जी के विचारानुसार वैदिक ज्ञान के नये वैज्ञानिक आयामों में व्यंजनात्मक व्याख्या करना रुचि है।
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