| Specifications |
| Publisher: Manav Utthan Sewa Samiti, Delhi | |
| Author Chaman Lal Tandon | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 176 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 7.5x5.5 inch | |
| Weight 140 gm | |
| HAF404 |
| Delivery and Return Policies |
| Usually ships in 7 days | |
| Returns and Exchanges accepted within 7 days | |
| Free Delivery |
गायत्री मंत्र का माहात्म्य हिन्दू समाज में अधिकांश व्यक्तियों को भली प्रकार विदित है और ब्राह्मण वर्ग का एक बड़ा भाग प्रति दिन तीन बार नहीं तो कम से कम दो बार इस मंत्र का जप भी करता है। किन्तु जैसा कि गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा है कि जिस का ज्ञान रूपी सूर्य अज्ञान रूपी बादलों से ढका रहता है वह देखते हुए भी नहीं देखता, समझते हुए भी नहीं समझता, बार-बार पठन-पाठन करते हुए भी उस के मर्म को नहीं पकड़ पाता। भगवान कृष्ण का यह वचन अक्षरशः उन सब लोगों के ऊपर लागू होता है जो मर्म को न जानते और समझते हुए भी यह मंत्र जपते रहते हैं। इस से उन को कितनी ज्ञान-ज्योति प्राप्त होती होगी यह तो वही जानें किन्तु इस मंत्र के वास्तविक रहस्य को हम तभी समझ सकते हैं जब हम किसी श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु के द्वारा इस मंत्र की दीक्षा लें। वे ही हमारे हृदय में गायत्री रहस्य को उद्घाटित कर सकते हैं और ध्यान विधि को जना सकते हैं।
Send as free online greeting card
Visual Search