| Specifications |
| Publisher: National Institute Of Science Communication And Information Resources, CSIR | |
| Author Biman Basu | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 83 (With Color Illustrations) | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 110 gm | |
| Edition: 2016 | |
| ISBN: 9788172361211 | |
| HBG989 |
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अब से 50 वर्ष पूर्व स्थापित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सी.एस.आई.आर), विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश में आर्थिक और औद्योगिक विकास लाने के प्रति समर्पित है। इस उद्देश्य पूर्ति के लिये इसने अनेक प्रयोगशालाओं की स्थापना की है जिनमें उद्योगों की रूचि और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अनुसंधान किये जाते हैं। उदाहरणार्थ, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, पुणे तथा राष्ट्रीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद, रसायन उद्योग; केन्द्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान, मद्रास, चमड़ा उद्योग, केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर, खाद्य संसाधन उद्योग; राष्ट्रीय धातुवर्ग प्रयोगशाला, जमशेदपुर, धातु उद्योग तथा केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, औषधि उद्योग की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
जनादेश का पालन करते हुए सी.एस.आई.आर. ने सदैव इस बात का ध्यान रखा है कि प्रौद्योगिकी के अग्रिम क्षेत्रों में कुशलता लाने तथा इस कार्य के लिये विशेषज्ञों का निर्माण करने के लिये विज्ञान का उच्चतम स्तर रखना होगा। उसका यह निश्चय राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, दिल्ली तथा अन्य क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में उच्च तापक्रम पर अति संचालकता से संबंधित अनुसंधानों, या फिर कोशिकीय तथा आण्विक जीव विज्ञान केन्द्र, हैदराबाद में डी एन ए फिंगर प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी पर किये जा रहे अनुसंधानों से पूरी तरह परिलक्षित होता है।
सी.एस.आई.आर. इस तथ्य से पूरी तरह परिचित है कि वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक विकास की गति को योग्य, युवा वैज्ञानिकों की उपलब्धता के बिना निरन्तर बनाये रखना कठिन कार्य है। अतः उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से मानव संसाधन विकास का एक ओजस्वी कार्यक्रम हाथ में लिया है जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में उभरते युवा स्नातकों को अनुसंधान की दिशा दी जा सके।
रात का सितारों से भरा आकाश, प्रकृति के अलौकिक दृश्यों में से एक है। पुराने लोग सितारों में भी अनेक प्रतिरूप देखा करते थे। वे प्रमुख सितारों में अपनी जानी पहचानी आकृतियों की कल्पना किया करते थे और समुद्री यात्राओं के दौरान इनके सहारे ही अपना मार्ग निर्धारित करते थे। समय का अनुमान भी वे सितारों को देखकर ही लगाया करते थे। किन्तु सितारे वास्तव में क्या हैं, वे इससे बिल्कुल अनजान थे। खगोलशास्त्रियों की सैंकड़ों वर्षों तक धैर्यपूर्वक की गर्मी गणनाएं और भौतिकविदों के सैद्धान्तिक अध्ययनों के बाद कहीं सितारों के रहस्यों पर पड़ा पर्दा उठा। जो कुछ भी सामने आया वह सचमुच चौंकाने वाला था। सितारे भी हमारी तरह नश्वर होते हैं। गुरूत्वाकर्षण से उत्प्रेरित होकर उनकी नाभिकीय भट्टी के जलते ही वे ब्रहमाण्ड में गैस और धूल के विशाल बादलों से जन्म लेते हैं। अधिकांश सितारों की मृत्यु यूं ही घटनारहित होती है और कोई भी उस ओर ध्यान नहीं देता। लेकिन कुछ सितारे अपने अंतिम क्षणों में सूरज से भी अधिक तेज चमक से भभक उठते हैं। इस समय ताप कई हजार करोड़ डिग्री तक पहुँच जाता है। सितारों की इस प्रलयंकारी मृत्यु से ही वह पदार्थ या मसाला मिला जिससे हमारा निर्माण हुआ। सितारों के जीवन पर आधारित मंत्रमुग्ध कर देने वाली यह कहानी, वास्तव में सितारों के भीतर जो कुछ हो रहा है, उसकी कहानी भी कह रही है।
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