पुस्तक के विषय
में
बंगाल: लीक
सस्कृति और साहित्य
पुस्तक नामानुकूल
बंगाल की सांस्कृतिक
थाती और साहित्यिक
गरिमा की झांकी
प्रस्तुत करती
है । आठ अध्यायों
में विभक्त इस
पुस्तक में बंगाल
के जनजीवन का संक्षिप्त
किंतु सिलसिलेवार
दृश्य मौजूद है
। 'प्रदेश और
इसके निवासी शीर्षक
के तहत बंगाल के
भौगोलिक परिदृश्य
और सामाजिक धाराणाओं
को चित्रित किया
गया है । मिथकीय
मान्यताओं को वास्तविकता
प्रस्तुत करते
हुए इसमें प्रकृति
के कई तत्वों का
किंवदंतीय निरूपण
है । 'धर्म और
जादू-टोना'
जिस तरह हमारे
देश मैं 'अपनी
जड़ जमा चुका है.
बंगाल उसका अपवाद
नहीं है । रीति-रिवाज-गौर
परंपरागं, मैले
और पर्व, मौखिक
साहित्य, लोक
साहित्य का सांगीतिक
पक्ष, लोक कलाएं
आदि जितने भी पहलू
हैं, लेखक ने
'आम पाठकों के
लिए प्रस्तुत कर
एक चुनौती भरा
काम किया है ।
इस पुस्तक के लेखक
आशुतोष भट्टाचार्य
शोधपरक लेखन और
शोधपरक अध्ययन
के लिए ख्यात है
। चुनौतीपूर्ण
विषय में शोध हेतु
दखल देना इनकी
प्रवृत्ति मानी
जाती है । ये एक
सफल अध्यापक के
रूप मे भी प्रसिद्ध
है । इस पुस्तक
के अनुवादक नरेन्द्र
सिन्हा अनुवाद
के क्षेत्र में
एक जाने माने व्यक्ति
है ।
पुस्तक के विषय
में
बंगाल: लीक
सस्कृति और साहित्य
पुस्तक नामानुकूल
बंगाल की सांस्कृतिक
थाती और साहित्यिक
गरिमा की झांकी
प्रस्तुत करती
है । आठ अध्यायों
में विभक्त इस
पुस्तक में बंगाल
के जनजीवन का संक्षिप्त
किंतु सिलसिलेवार
दृश्य मौजूद है
। 'प्रदेश और
इसके निवासी शीर्षक
के तहत बंगाल के
भौगोलिक परिदृश्य
और सामाजिक धाराणाओं
को चित्रित किया
गया है । मिथकीय
मान्यताओं को वास्तविकता
प्रस्तुत करते
हुए इसमें प्रकृति
के कई तत्वों का
किंवदंतीय निरूपण
है । 'धर्म और
जादू-टोना'
जिस तरह हमारे
देश मैं 'अपनी
जड़ जमा चुका है.
बंगाल उसका अपवाद
नहीं है । रीति-रिवाज-गौर
परंपरागं, मैले
और पर्व, मौखिक
साहित्य, लोक
साहित्य का सांगीतिक
पक्ष, लोक कलाएं
आदि जितने भी पहलू
हैं, लेखक ने
'आम पाठकों के
लिए प्रस्तुत कर
एक चुनौती भरा
काम किया है ।
इस पुस्तक के लेखक
आशुतोष भट्टाचार्य
शोधपरक लेखन और
शोधपरक अध्ययन
के लिए ख्यात है
। चुनौतीपूर्ण
विषय में शोध हेतु
दखल देना इनकी
प्रवृत्ति मानी
जाती है । ये एक
सफल अध्यापक के
रूप मे भी प्रसिद्ध
है । इस पुस्तक
के अनुवादक नरेन्द्र
सिन्हा अनुवाद
के क्षेत्र में
एक जाने माने व्यक्ति
है ।