मैंने श्रीमद् बाल्मीकीय रामायण को काफी समय पूर्व पढ़ा था परन्तु श्री राम चरित मानस का मन पर इतना अधिक प्रभाव था कि मुझे इसमें अधिक रस नहीं मिला। वर्तमान समय में अनेकों विद्वानों के द्वारा श्री बाल्मीकी रामायण पर आधारित अनेकों कथाओं को और विचारों को सुनकर मुझे श्री बाल्मीकी रामायण को पढ़ने की और अधिक जिज्ञसा जाग्रत हुयी। मैंने विचार किया कि इस महान ग्रन्थ का अध्ययन करके जनसाधारण के पढ़ने के लिए सुगम बनाया जाए। इसी विचार को क्रियान्वित करने के लिए मैंने इस महान ग्रन्थ पर आधारित श्री राम कथा को 'सीता हरण' तक की कथा को आज के शुभ दिन से लिखना आरम्भ कर दिया है। मुझे कई शुभ चिन्तकों ने राम कथा को लिखने का पहले भी सुझाव दिया था। यदि प्रभु की इच्छा और आप लोगों का आशीर्वाद और शुभकामनाएँ और समर्थन मिला तो शेष राम था आगे आपकी सेवा में प्रस्तुत करने का पूरा प्रयत्न किया जाएगा।
सम्मानित पाठकों! आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि जैसे आपने मेरी विगत रचनाओं "क्षीर सागर का वासी, देव वानर, समुद्र मंथन, देवी गाथा भाग 1 व दो, शंकरा भाग 1 व 2 एवं एकदन्त" को अपना प्यार एवं समर्थन प्रदान किया है उसी प्रकार मेरी इस नवीन रचना "रामायणम्” को भी समर्थन एवं प्यार प्रदान करेंगे।
मैं अपनी तरफ से इस शुभ कार्य में सहयोग के लिए अपने परिवार, बोध रस प्रकाशन, श्री अमित तिवारी का व्यक्तिगत रूप से, पर्दे के पीछे से मेरा सहयोग एवं मार्गदर्शन करने वाले शुभचिंतकों का हृदय से धन्यवाद एवं आभार प्रकट करता हूँ।
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