यही कारण रहा है कि प्राचीन काल से ही, मानव निर्मित जल संरचनाओं का बड़े पैमाने पर निर्माण किया गया, जो ना केवल तत्कालीन समय में जल सुरक्षा को सुनिश्चित करती रही होंगी, बल्कि उन्हें तकनीकी विकास की दृष्टि से आश्चर्यजनक माना जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में मध्यप्रदेश के प्राकृतिक जल संसाधनों के साथ साथ मानव निर्मित जल संरचनाओं का विशद अध्ययन किया गया है। यह पुस्तक जहां एक ओर हमें उपलब्ध जल राशि और वर्तमान समय में मांग के साथ उसके कुशल समायोजन हेतु उपयुक्त दृष्टि प्रदान करती है, वही दूसरी ओर जल संसाधनों के सरंक्षण हेतु सदियों से किए जा रहे महत्वपूर्ण उपायों से अवगत कराते हुए, हमें इस क्षेत्र में और अधिक गहन प्रयास करने की प्रेरणा भी देती है।
यह पुस्तक जल संसाधनों के सरंक्षण और विकास को समर्पित हमारे पूर्वजों के गौरवपूर्ण इतिहास से परिचित कराएगी, ऐसा पूर्ण विश्वास है।
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