कालचक्र दशा से फलित: Kala Chakra Dasha se Phalit

$15
Express Shipping
Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZA973
Author: गिरिश चन्द्रजोशी (Girish Chandra Joshi)
Publisher: Alpha Publications
Language: Hindi
Edition: 2009
ISBN: 8179480542
Pages: 107
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 150 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

पुस्तक के बारे में

वर्तमान समय में जो पुस्तकें कालचक्र दशा में सम्बन्धित है, उनमें ऐसे ही उदाहरणों को रखा गया है जिसमें देहादि सज्ञक राशि या उनके स्वामी पीड़ित हैं। जबकि उन पुस्तकों में ऐसे उदाहरणों को भी रखा जाना चाहिए था जिनमें देहादि सज्ञक राशि दशा में मृत्यु नहीं हुई हो, परन्तु शास्त्रीय सिद्धान्त लागू होते हों, ताकि विद्यार्थीगण दोनों स्थितियों से भिज्ञ हो जाते।

कुछ उदाहरणों में मृत्यु दशा ही गलत लगा रखी है।

कुछ उहाहरणों में प्रथम चक्र की देहादि सज्ञक राशि दशा में मृत्यु होना दर्शाया गया है जबकि जातक द्वितीय चक्र की दशा राशिमें मृत्यु को प्राप्त हुआहै।

अन्तर्दशा गणना हेतु परमायु वर्षो के महत्त्व को नहीं बतायागया है।

लेखक के बारे में

सोलह वर्ष की किशोरावस्था से ही ज्योतिष के प्रति रुझान के परिणामस्वरूप स्वाध्याय से ज्योतिष सीखने की ललक व गुरु की तलाश में कुमाऊँ क्षेत्र के तत्कालीन प्रकाण्ड ज्योतिर्विदों के उलाहने सहने के बाद भी स्वाध्याय से अपनी यात्रा जारी रखते हुए वर्ष 1985 में वह अविस्मरणीय दिन आया जब वर्षो की प्यास बुझाने हेतु परमगुरु की प्राप्ति योगी भाष्करानन्दजी के रूप में हुई। पूज्य गुरुजी ने न केवल मंत्र दीक्षा देकर मेरा जीवन धन्य किया अपितु अपनी ज्योतिष रूपी ज्ञान की अमृतधारा से सिंचित किया। शेष इस ज्योतिष रूपी महासागर से कुछ बूँदें पूज्य गुरुदेव श्री के० एन० राव जी के श्रीचरणों से प्राप्त हुई। जैसा कि वर्ष 1986 की गुरुपूर्णिमा की रात्रि को योगी जी के श्रीमुख से यह पूर्व कथन प्रकट हुए "कि मेरे देह त्याग के बाद सर्वप्रथम मेरी जीवनी तुम लिखोगे। मैं वैकुण्ठ थाम में नारायण मन्दिर इस जीवन में नहीं बना पाऊँगा। मुझे पुन आना होगा''। कालान्तर में योगी जी का कथन सत्य साबित हआ। वर्ष 1997 से प्रथम लेखन 1. योगी भाष्कर वैकुण्ठ थाम में योगी जी के जीवन पर लुघु पुस्तिका का प्रकाशन हुआ। तत्पश्चात् 2.हिन्दू ज्योतिष का सरल अध्ययन भाषा टीका 3. व्यावसायिक जीवन मैं उतार-चढाव भाषा टीका 4 आयु अरिष्ट अष्टम चन्द्र 5. आयु निर्णय 6. परमायु दशा तथा प्रतिष्ठित प्रतिष्ठिक जागरण तथा अमर उजाला में प्रकाशित सौ से अधिक सत्य भविष्यवाणियों के उपरान्त दो वर्षों की अथक खोज के उपरान्त 'कालचक्र दशा से फलित' आपके हाथ में है।

प्रस्तावना

पूर्व जन्मों के पुण्य प्रताप से ब्रह्मलीन मंत्र गुरु एवं प्रथम ज्योतिष गुरु योगी भाष्करानन्द जी एवं ज्योतिष गुरुदेव महर्षि के.एनराव जी के अदृश्य आशीर्वाद से पंचम वेद ज्योतिष पर लेखन की यात्रा वर्ष 1997 से प्रारम्भ हुई, जो योगी भाष्करानन्द जी की जीवनी से प्रारम्भ होकर ज्योतिष जगत में लुप्तप्राय हो चुकी परमायु दशा के गणित फलित एवं परमायु दशा की सहायता से पाम तथा पाराशरी के योगज आयु के सिद्धान्तों का समन्वय करते हुए आयु निर्णय पर दो लघु शोध पुस्तिकाओं का लेखन पूर्ण होने के उपरान्त भी मन में यह कसक बनी रही कि अरिष्ट विचार हेतु महर्षि पाराशर की अनमोल मणि कालचक्र दशा की गणना विधि को सरलीकृत कर तथा प्रमाणिक फलित सिद्धान्तों को क्रमबद्ध कर एक पुस्तिका का प्रस्तुतीकरण किया जा सके ताकि ज्योतिष जगत के विद्याथियों को अत्यधिक श्रम व अन्य प्रकाशित पुस्तकों की क्लिष्टता से बचाते हुए अल्प समय में दशान्तर दशा गणना हेतु सरलीकृत विधि को सरल भाषा शैली में महर्षि पाराशर की इस कालचक्र दशा रूपी मणि को पिरोया जा सके । मेरे दिव्यात्मा गुरुजनों के आशीवाद से यह कार्य छ: मास के अथक परिश्रम से पूर्णता को प्राप्त हो सका। जिसमें सहायतार्थ मेरे गुरुजनों की अदृश्य कृपा से श्री बिरेन्द्र नौटियाल के रूप में एक श्रद्धावान शिष्य मुझे प्राप्त हुआ। जिन्होंने सम्पूर्ण गणित खण्ड का काय पूरा किया । अब सम्भवतया मेरे देवतुल्य गुरुयोगी भाष्करानन्द जी के आदेशानुसार मेरी लेखन की संक्षिप्त यात्रा के विराम का समय आ गया है। अब शेष जीवन उनके आदेशानुसार निर्धन विद्यार्थियों की सेवा में अग्रसर होने लगा है। परन्तु आगे अपने तथा अपने गुरुजनों के आशीर्वाद के साथ मैं श्री बिरेन्द्र नौटियाल जी को शेष कार्य हस्तान्तरित करते हुए यह आशा करता हूँ कि भविष्य में वह ज्योतिष जगत की सेवा में कुछ महत्वपूर्ण शोध अपनी लेखनी से दे पायेंगे।

गत एक दशक से मेरी इस शोध व लेखन यात्रा में मेरी पूज्यमाता श्रीमती जयन्ती देवी, अर्द्धांगिनी श्रीमती नन्दा देवी, ज्येष्ठ पुत्र मनोजजोशी, कनिष्ठ पुत्र संजीव जोशी का जो सहयोग रहा मैं इन सभी आत्माओं का आभारी हूँ। इसके अतिरिक्त मैं एल्फा पब्लिकेशन्स के स्वामी श्री ए.एल.जैन साहब का विशेष आभारी हूँ जिन्होंने ज्योतिष जिज्ञासुओं के सेवार्थ इस लेखनी को प्रकाश में लाने का पुनीत काम किया ।

विषय-सूची

 

  प्रस्तावना vii
  समय का महत्त्व ix
1 कालचक्र दशा गणना 1
2 दशाफल के सिद्धान्त 35
3 उदाहरण कुंण्डलियों द्वारा व्याख्या 65

Sample Pages





Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories