Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

कुण्डली मिलान: Matching Horoscope Foundation of a Happy Married Life

$17
Specifications
NZA976
Author: एस.सी. कुरसीजा (Dr. S. C. Kurseeja)
Publisher: Varundev Prakashan
Language: Hindi
Edition: 2009
ISBN: 8179480895
Pages: 185
Cover: Paperback
8.5 inch X 5.5 inch
200 gm
Delivery and Return Policies
Returns and Exchanges accepted with 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description

प्रस्तावना

हिन्दू-समाज में शादी के लिए कुण्डली मिलान आवश्यक अंग हो गया है। कुण्डली मिलान का वर्णन ज्योतिष की जातक शास्त्रीय पुस्तकों में कहीं नहीं है। यदि कुछ वर्णन मिलता है तो मुहूर्त की पुस्तकों में जहां विवाह का मुहूर्त निकाला जाता है वहीं उत्तर भारत में अष्ट कूट व दक्षिण भारत में दश कूट का वर्णन मिलता है। अर्थात् जब वर व कन्या के विवाह का मुहूर्त निकाला जाता था उस समय कुण्डलियों मैं उपस्थित अशुभ योगों के परिहार के अनुसार मुहूर्त निकाला जाता था। मुहूर्त अशुभ योगों का मुख्य परिहार होता है। मुहूर्त निकालने का अर्थ है कि जातक बुद्धिमानी से कार्य कर रहा है। जीवन में कठिनाई उस वक्त ज्यादा आती है जब जातक मनमानी करता है। परन्तु आजकल जिन परिस्थितियों मैं हमारे नौजवान जातक जीवन बिता रहे हैं उनमें मनमानी ज्यादा बुद्धिमानी कम है । शिक्षा ग्रहण करते-करते वह किसी न किसी लड़की के सम्पर्क में आ जाते हैं व उसको चाहने लगते हैं ।19-20 वर्ष के लड़की या लड़के में जोश होता है होश नहीं होता तथा जिंदगी का अनुभव भी नहीं होता। लड़का/लड़की दोनों मनमानी करते हैं । इसी मनमानी के कारण आजकल न्यायालयों में तलाक के मुकदमे ज्यादा होते जा रहे हैं । परिवार बिखर रहे हैं । गृहस्थ जीवन का आनन्द समाप्त होता जा रहा है । इससे बच्चे, बूढ़े व समाज तीनों पर बुरा असर पड रहा है । इस अव्यवस्था कौ ध्यान में रखते हुए पुस्तक लिखने की प्रेरणा प्राप्त हुई ।

श्री एम.एन. केदार व डा. (श्रीमती) ललिता गुप्ता की अध्यक्षता में कुण्डली मिलान पर दो गोष्ठियां हुई । अष्टकूट मिलान से आज वैवाहिक जीवन सुखद नहीं बन पा रहा है । कुछ अन्य प्रकार का विचार करना है । उसकी खोज करते-करते निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान आकर्षित किया गया-

1 अष्टकूट मिलान के वाद भी गृहस्थ जीवन सुखी नहीं है ।

2 अष्टकूट के गुण कम होन के बाद भी जीवन सुखी है ।

3. अष्टकूट मिलान आयु निर्णय नहीं कर पाता यदि अष्टकुट क 36 गुण ही मिल जाएँ और आयु नहीं हो तो गुण मिलान का क्या लाभ होगा । इसलिए आयु मिलान जरूरी है ।

4. यह सभी ज्योतिषी मानते थे कि विवाह सम्वन्ध पूर्व कर्मो पर आधारित हैं तौ कुण्डली मिलान क्यों? जिससे विवाह होना निश्चित है उसी से विवाह होगा इत्यादि बातें मुख्य रूप से प्रकाश में आई ।

मेरे लान के अनुसार शिव गृहस्थ का प्रतीक है । शिव के ही गणेश व कार्तिकेय दो लड़के हैं । शिव ही नीलकण्ठ है । शिव का प्रतीक लिंग व योनि है । चंद्रमा शिव का प्रतीक है । अष्टकूट का आधार भी चंद्रमा है । लिंग व योनि गृहस्थ का प्रतीक है । जो पुरुष व नारी एक ही लिंग व योनि से बंधे रहते हैं वही गृहस्थ धर्म का पालन कर सकते हैं । अन्यथा काम-वासना की तृष्णा में भटक जाते हैं । मृग-मरीचिका की तरह तृष्णा उन्हें तड़पाती रहती है । इसलिए ही शायद हमारे ऋषि-मुनियों ने तृष्णा को नकारने का उपदेश दिया । जितना इनकी तृप्ति करेंगें उतनी ही यह उग्र रूप धारण करती है । शिव (नियमन, नियंत्रण) नकारने का प्रतीक है । दूसरी ओर नीलकण्ठ होकर वह दर्शाता है कि गृहस्थ जीवन को चलाने के लिए जातक को कई बार अपनी इच्छाओं का दमन करना पड़ता है । सन्तुलन व समायोजन के लिए जहर, विष पीना पड़ता है । तब गृहस्थ-जीवन सुखपूर्वक चलता है । बच्चों का व खो का ध्यान रखना पडता है । इसलिए मेरे विचार में नीलकण्ठ शिव गृहस्थ-जीवन का प्रतीक है । चंद्रमा उसका प्रतीक है । चंद्रमा का वर व कन्या की कुण्डलियों में एक-दूसरे से हम स्थान में होना आवश्यक कै । विवाह मुहूर्त में चंद्रमा का बल, चंद्रमा से तारा बल व दशान्तर दशा का शुभ होना आवश्यक है ।

इसलिए आयु व दशान्तर दशा के कम का विचार भी करें तो कुण्डली मिलान में और सफलता प्राप्त होगी ।

दूसरा, यदि गुण मिलान में जौ हमने विभाजन किया है जैसे-1 2, 8, 36 गुण उनको भी समाप्त करना, होगा । सबको समान अंग प्राप्त होने चाहिए । किसी गुण विशेष को अधिक महत्व व किसी को केवल एक अंक दोषपूर्ण लगता है । आज के परिवेश में जब वर-कन्या दोनों वित्तीय प्रबंध से मुक्त हैं । दोनों कमाते हैं, ड्सलिए दोनों का अहम् ऊंचा है । दोनों पढ़े-लिखे हैं। इसलिए पहले के समय से आज की आवश्यकताएं भिन्न प्रकार की हैं । परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध हैं । मनोरंजन के साधन भिन्न हैं । सह-पाठ्यक्रम होने के कारण प्रत्येक लगूके की कोई न कोई लड़की मित्र है व लड़की के मित्र लड़के हैं । दोनों के विचार परिवार के संस्कारों के अनुसार भिन्न हैं । कोई सन्तान चाहता है तो कोर्ट सौन्दर्य प्रतियोगिता के अनुरूप अपने शरीर का गठन चाहता है। बच्चा गोद लेना चाहता है । बच्चा पैदा करना नहीं चाहता क्योंकि शरीर का गठन खराब हो जाता है । इसलिए आज की प्राथमिकता पहले की प्राथमिकता से भिन्न है । डन प्राथमिकताओं को 'यान में रखते हुए मैंने यह पुस्तक लिखने का प्रयत्न किया है। इसको (कुण्डली मिलान) को कुछ आधुनिक बनाने का प्रयत्न किया है । परन्तु आधुनिकता में हमारे पुरातन संस्कार वैसे- के-वैसे बने रहें इसका भी प्रयत्न किया है । मैं अपने प्रयत्न में कितना सफल रहा हूं इसका निर्णय पाठकों पर छोड़ता हूं ।

हमारे हिन्दू समाज में विवाह एक धार्मिक कार्य है । धर्म का स्थान नवम भाव है । विवाह का भाव सप्तम भाव है । सप्तम भाव नवमभाव से एकादश भाव है जो धर्म' को वढ़ावा देता है । नवम भाव से द्वादश भाव अष्टम भाव है जो वैधव्य का प्रतीक है । धर्म की हानि करता है । हमारे यहां दामाद विष्णु का रूप है । दशम भाव विष्णु है । जो नवम भाव से द्वितीय भाव है तथा धर्म की वृद्धि करता है । इस प्रकार हम पाते हैं कि विवाह एक धामिक कार्य है व धर्म की मात्रा बढाने का एक साधन है । गृहस्थ से धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है, जो जीवन का आधार है । इसलिए गृहस्थ जीवन का सुखमय होना देश व समाज, धर्म तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है । उसका प्रयास हम कुण्डली मिलान के द्वारा करते हैं । वर्ष, वश्य, तारा यानि एवं ग्रह मैत्री द्वारा भावी दंपत्ति की रुचियों में समानता का मूल्यांकन होता है । जबकि अन्तिम तीन कूटों अर्थात् गण, भक्त, नाड़ी के माध्यम से उनके स्वभाव में समानता का निधारण किया जाता है । देश, काल तथा पात्र, का ध्यान रखते हुए ज्योतिष के शाश्वत नियमों को बिना ताड़-मरोड़ आज की परिस्थितियों में प्रयाग करने का प्रयास किया गया है । प्रत्यक शास्त्र का समय कै अनुसार बार-बार चिन्तन होना चाहिए जिससे शास्त्र में नवीनता बनी रहे । प्रवाह बना रहे । शास्त्र मैं आज की आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता बनी रहे । आज के उठे प्रश्ना का उत्तर दे सकने में शास्त्र सक्षम हो ऐसा प्रयास करना समाज के प्रत्यक घटक का कर्त्तव्य हो जाता है । मैं इसमें कितना सफल हुआ हूं इसका मूल्यांकन करना पाठकों पर छोड़ता हूं ।

मैं श्री अमृत लाल जैन, प्रकाशक, एका पब्लिकेशन, नई सड़क, दिल्ली का हृदय से आभारी हूं कि उन्होंने मेरी पुस्तक को प्रकाशित किया तथा पुस्तक के परिवर्धन व संशोधन करने के लिए सहयोग प्रदान किया ।

 

 

प्रस्तावना

 

1

कुण्डली मिलान की आवश्यकता

1

2

विवाह का उद्देश्य

4

3

आधुनिक विचारधारा

7

4

लड़के के गुण व दोष

11

5

आयु निर्णय

16

6

मानसिक स्वास्थ्य

34

7

जातक का आचरण व चरित्र

40

8

विवाह विचार

50

9

वैधव्य आदि अन्य योग विचार

56

10

दोष साम्य (ग्रह मिलान)

62

11

कुण्डली मिलान में त्रुटियां

70

12

कुण्डली मिलान क्या है?

73

13

वर्णकूट विचार

76

14

वश्य दोष

80

15

तारा कूट विचार

83

16

योनिकूट विचार

93

17

राशीश मैत्री विचार

96

18

गण विचार

100

19

भकूट विचार

103

20

नाड़ी विचार

111

21

रन्जू कूट विचार

114

22

माहेन्द्र कूट विचार

119

23

वेध कूट विचार

120

24

स्त्री दीर्घ कूट विचार

122

25

उपसंहार

124

26

मंगल व वैवाहिक परेशानियां

138

27

विवाह समय का निर्धारण

154

Sample Pages


Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories